Happy Harmons : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग काम और चिंता में इतने डूब गए हैं कि खुद के लिए वक्त निकालना भूल गए हैं। तनाव, भागमभाग और रोजमर्रा की परेशानियों के बीच हम यह भी भूल जाते हैं कि खुशी हमारी सेहत के लिए कितनी जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खुशी की चाबी हमारे ही अंदर छिपी है, जिसका नाम है “हैप्पी हार्मोन”।हैप्पी हार्मोन शरीर में बनने वाले प्राकृतिक रसायन होते हैं, जो हमारे मूड को अच्छा करते हैं, तनाव को कम करते हैं और हमें खुशी, प्यार व सुकून का एहसास कराते हैं। ये हार्मोन दिमाग और शरीर के बीच संदेश पहुंचाकर हमारी भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। मुख्य रूप से चार हार्मोन—डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सिटोसिन और एंडोर्फिन—को हैप्पी हार्मोन कहा जाता है।
डोपामाइन को ‘रिवार्ड हार्मोन’ भी कहा जाता है। जब हम कोई लक्ष्य हासिल करते हैं या कोई सपना पूरा करते हैं तो डोपामाइन का स्तर बढ़ता है और हमें अंदर से खुशी व संतोष का अनुभव होता है। सेरोटोनिन मूड, नींद और भूख को संतुलित रखता है, जिससे हम मानसिक रूप से स्थिर और रिलैक्स महसूस करते हैं। ऑक्सिटोसिन को ‘लव हार्मोन’ कहा जाता है, जो प्यार, भरोसे और अपनापन महसूस कराने में मदद करता है। यह हार्मोन गले लगाने, परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने जैसी गतिविधियों से बढ़ता है। वहीं, एंडोर्फिन शरीर का प्राकृतिक पेनकिलर है, जो दर्द और थकान को कम करके हमें रिलैक्स फील करवाता है।
डॉ. मीरा पाठक का कहना है कि इन हैप्पी हार्मोन्स को बढ़ाने के लिए किसी महंगे इलाज या दवा की जरूरत नहीं है। थोड़ी-सी जीवनशैली में बदलाव करके और कुछ आदतें अपनाकर हम इन्हें प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले, व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है। दौड़ना, योग, डांस या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी न केवल फिटनेस बनाए रखती है बल्कि एंडोर्फिन और डोपामाइन का स्तर भी बढ़ाती है। दूसरा, ध्यान और मेडिटेशन तनाव को कम करके सेरोटोनिन बढ़ाने में मदद करते हैं। तीसरा, हंसना—चाहे दोस्तों के साथ मजाक में हो या किसी कॉमेडी शो को देखकर—तुरंत एंडोर्फिन रिलीज करता है।
डॉ. पाठक बताती हैं कि अच्छी नींद भी हैप्पी हार्मोन्स के संतुलन के लिए जरूरी है। रोजाना 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लेने से दिमाग और शरीर दोनों को रीचार्ज होने का मौका मिलता है। इसके अलावा, अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना, गले लगाना, उनकी बात सुनना और उनसे खुलकर बातचीत करना ऑक्सिटोसिन को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है। अगर लोग अपनी लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करें तो न केवल उनका मूड बेहतर होगा बल्कि तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से भी काफी हद तक बचा जा सकता है। हैप्पी हार्मोन न सिर्फ हमें खुश रखते हैं, बल्कि हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों के लिए एक ढाल की तरह काम करते हैं। इसलिए, अगली बार जब आप तनाव में हों या थकान महसूस करें, तो थोड़ी देर हंसे, अपने दोस्तों से मिलें, एक्सरसाइज करें और खुद को समय दें। खुशी बाहर से नहीं, बल्कि आपके अंदर से शुरू होती है और इसका राज है हैप्पी हार्मोन।
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