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IVF से डरते हैं? डॉक्टर मीरा पाठक से जानें सच्चाई, हर 6 में से 1 दंपति की समस्या का समाधान

Know the truth from Dr. Meera Pathak
inkhbar News
  • Last Updated: July 25, 2025 12:19:39 IST

World IVF Day Interview : आज के युग में बदलती जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण और देर से शादी करने की प्रवृत्ति के कारण दंपतियों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर छह में से एक दंपति प्रजनन संबंधी समस्याओं से जूझ रहा है। जहां पहले यह विषय शर्म और चुप्पी का विषय था, वहीं अब चिकित्सा विज्ञान की प्रगति से IVF जैसी तकनीकों ने हजारों परिवारों को संतान सुख का अनुभव कराया है।

इस विषय में जानने के लिए हम प्रसिद्ध गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर मीरा पाठक, जो पिछले 15 वर्षों से प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रही हैं उनसे जानते हैं की आखिर ये IVF है क्या? जानकारी के लिए आपको बता दें कि डॉक्टर पाठक ने अब तक सैकड़ों दंपतियों को IVF की सहायता से माता-पिता बनने में मदद की है। आज हम उनसे जानेंगे कि IVF क्या है, यह कैसे काम करती है, किन परिस्थितियों में यह उपचार सुझाया जाता है, और इस प्रक्रिया की सफलता दर क्या है। हमारे देश में हर साल डेढ़ लाख बच्चे आईवीएफ के थ्रू पैदा होते हैं लेकिन इसके बावजूद भी लोगों को आईवीएफ को लेकर कई सारे सवाल हैं वह आईवीएफ कराने से डर रहे हैं।

इस बातचीत में हम यह भी समझेंगे कि IVF के दौरान दंपतियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसकी लागत क्या है, और क्या यह हर किसी के लिए उपयुक्त है। तो आइए डॉक्टर पाठक से सुनते हैं कि कैसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान उन दंपतियों की मदद कर रहा है जो संतान प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। डॉक्टर मीरा बताती है कि आईवीएफ से कई बच्चे पैदा हो रहे हैं। वह बताती हैं कि आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक प्रकार की असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है, जिसमें अंडे और शुक्राणु को शरीर के बाहर मिलाकर गर्भाधान किया जाता है।

1. अंडे का उत्पादन: महिला को दवाएं दी जाती हैं जो अंडाशय में कई अंडे बनाने में मदद करती हैं।
2. अंडे की निकासी: जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें महिला के शरीर से निकाला जाता है।
3. शुक्राणु का संग्रह: पुरुष से शुक्राणु का नमूना लिया जाता है।
4. निषेचन: अंडे और शुक्राणु को एक प्रयोगशाला में मिलाया जाता है, जहां निषेचन होता है।
5. भ्रूण का विकास: निषेचित अंडे (भ्रूण) को कुछ दिनों तक प्रयोगशाला में रखा जाता है ताकि वे विकसित हो सकें।
6. भ्रूण का स्थानांतरण: विकसित भ्रूण को महिला के गर्भ में स्थानांतरित किया जाता है।
7. गर्भावस्था की जांच: कुछ हफ्तों बाद, यह जांच की जाती है कि गर्भावस्था हुई है या नहीं।

आईवीएफ उन जोड़ों के लिए एक विकल्प है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है, लेकिन यह कई जोड़ों को माता-पिता बनने का अवसर प्रदान करती है। जो भी इस तरह से बेबी करने की सोच रहे हैं वो बिल्कुल न डरें आईवीएफ की मदद लेकर लाइफटाइम की ख़ुशी पा सकते है।