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AI, CCTV और STF की निगरानी में पारदर्शी परीक्षा : यूपी के 75 जिलों में साढ़े चार लाख छात्रों ने दिया RO/ARO एग्जाम

Transparent exam under the supervision of AI, CCTV and STF
inkhbar News
  • Last Updated: July 27, 2025 16:43:16 IST

RO/ARO Exam : यूपी के 75 जिलों में आज RO/ARO परीक्षा संपन्न हुई है। रविवार को प्रदेश के सभी 75 जिलों में सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक एक पाली में संपन्न हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक, परीक्षा में 10,76,004 अभ्यर्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 4,54,997 (42.29 प्रतिशत) शामिल हुए। प्रदेश भर में 2382 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जिनमें कानपुर में 139, लखनऊ में 129, प्रयागराज में 106 और वाराणसी में 82 केंद्र शामिल थे।

एसटीएफ की कड़ी निगरानी शामिल

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में सर्वाधिक 52.81 प्रतिशत, जबकि रामपुर में सबसे कम 25.78 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है। वहीं प्रयागराज में 47.61 प्रतिशत, लखनऊ में 48.89 प्रतिशत, कानपुर में 44.37 प्रतिशत, वाराणसी में 49.19 प्रतिशत अभ्यर्थियों की उपस्थिति रही। बता दें कि योगी सरकार और आयोग द्वारा किए गए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामों, जिसमें एआई आधारित अलर्ट सिस्टम, सीसीटीवी स्ट्रीमिंग, बायोमेट्रिक सत्यापन और एसटीएफ की कड़ी निगरानी शामिल थी, ने परीक्षा को पूरी तरह नकलमुक्त और पारदर्शी बनाया।

नकल माफिया पर कड़ा पहरा

परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए योगी सरकार ने नकल माफिया और पुराने आरोपियों पर पैनी नजर रखी। एसटीएफ को संवेदनशील केंद्रों की विशेष निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था, जो पूरे दिन सक्रिय रही। पूर्व में परीक्षा अपराधों में लिप्त गैंग और जमानत पर रिहा आरोपियों की गतिविधियों पर सतत निगरानी रखी गई। कोचिंग सेंटरों की संदिग्ध गतिविधियों पर समर्पित टीमें तैनात रहीं, जो किसी भी असामान्य हरकत की तुरंत जानकारी संबंधित एजेंसियों को देती रहीं। सोशल मीडिया पर अफवाहों और लीक की संभावनाओं को रोकने के लिए विशेष मॉनिटरिंग सेल ने व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखी।

रैंडमाइजेशन और सीसीटीवी से कड़ी निगरानी

परीक्षा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए प्रश्नपत्रों की तैयारी और वितरण में कड़े प्रबंध किए गए। दो अलग-अलग मुद्रकों से तैयार किए गए दो सेट प्रश्नपत्रों का चयन परीक्षा शुरू होने से 45 मिनट पहले कंप्यूटर आधारित रैंडमाइजेशन से किया गया। सभी प्रश्नपत्र आठ मल्टीपल जंबल्ड सीरीज में थे, जिन पर यूनिक और वैरिएबल बारकोड अंकित थे। इन्हें त्रिस्तरीय लॉक वाले गोपनीय ट्रंक बॉक्स में पांच स्तरीय टेम्पर्ड प्रूफ पैकिंग के साथ रखा गया था। ट्रेजरी से निकासी से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं के डिस्पैच तक की प्रक्रिया में सशस्त्र गार्ड और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी अनिवार्य रही। लाइव सीसीटीवी स्ट्रीमिंग के जरिए केंद्र, जिला और आयोग स्तर पर निगरानी की गई, जिससे गोपनीय सामग्री की सुरक्षा अभूतपूर्व स्तर पर रही।

बायोमेट्रिक और फेस रिकग्निशन से मिला एंट्री

अभ्यर्थियों की पहचान और प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित बनाया गया। केंद्र आवंटन कंप्यूटर रैंडमाइजेशन से किया गया, ताकि पक्षपात की कोई संभावना न रहे। ई-प्रवेश पत्र को ओटीआर (वन टाइम रजिस्ट्रेशन) आधारित आठ स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया से जोड़ा गया, जिसमें अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, श्रेणी, हाईस्कूल वर्ष और रोल नंबर जैसे बिंदु शामिल थे। प्रवेश द्वार पर बायोमेट्रिक सत्यापन और फेस रिकग्निशन तकनीक से पहचान सुनिश्चित की गई। डबल लेयर फ्रिस्किंग की जिम्मेदारी पुलिस बल और कार्यदायी संस्था ने साझा रूप से निभाई, जिससे कोई निषिद्ध सामग्री अंदर नहीं ले जाई जा सकी। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर पूर्ण प्रतिबंध रहा और एआई आधारित अलर्ट सिस्टम ने किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत चेतावनी दी।

योगी सरकार की पहल से मजबूत हुई

परीक्षा को नकलमुक्त और निष्पक्ष बनाने के लिए योगी सरकार और आयोग का संयुक्त अभियान परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए गए इन प्रयासों ने अभ्यर्थियों में विश्वास बढ़ाया और प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय बनाया। प्रयागराज में एक सेंटर से परीक्षा देकर बाहर निकले वाराणसी के नीरज चंद्रा और सचिन माथुर ने बताया कि उनके केंद्रों पर कई स्तरों पर गहन चेकिंग की गई, जो बेहद व्यवस्थित और निष्पक्ष थी। वहीं प्रतापगढ़ की पूजा ने कहा कि पिछली बार की तुलना में इस बार की व्यवस्था कहीं बेहतर थी, जिससे परीक्षा में पूर्ण पारदर्शिता बनी रही और उन्हें आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई।