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कोई देवता निजी कैसे हो सकते हैं?”- बांके बिहारी मंदिर केस में सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

Supreme Court
inkhbar News
  • Last Updated: August 4, 2025 15:18:58 IST

Shri Banke Bihari temple case : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को वृंदावन स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और स्वामित्व को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई ने एक नया मोड़ ले लिया। मंदिर को ‘निजी धार्मिक संस्था’ बताने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीखा सवाल पूछा — “जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, वह निजी कैसे हो सकता है?” कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई देवता निजी कैसे हो सकता है? यह तो एक भ्रम है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील में क्या कहा गया

दरअसल, यूपी सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश के जरिए मंदिर के प्रबंधन को एक सरकारी ट्रस्ट के अधीन करने का प्रस्ताव दिया था, जिसका याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया है। उनका तर्क है कि श्री बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है और सरकार इस अध्यादेश के जरिए मंदिर पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण चाहती है। सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी कि सरकार मंदिर की संपत्ति और धन पर नियंत्रण चाहती है, जो असंवैधानिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मंदिर की आय का इस्तेमाल ज़मीन खरीदने के लिए करना चाहती है, जबकि यह पैसा सिर्फ धार्मिक और मंदिर से जुड़ी गतिविधियों के लिए होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा..

इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “मंदिर की आय केवल आपकी नहीं है, यह मंदिर की विकास योजनाओं और जनसेवा के लिए है। राज्य सरकार की मंशा मंदिर के धन को हड़पने की नहीं लगती, बल्कि वह इसे मंदिर के विकास में लगाना चाहती है।” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि वह एक अंतरिम व्यवस्था के तहत रिटायर्ड हाईकोर्ट या वरिष्ठ जिला जज की अध्यक्षता में एक प्रबंधन कमेटी गठित कर सकता है, जो मंदिर की व्यवस्था देखेगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी वह अध्यादेश की संवैधानिकता की गहराई से जांच नहीं कर रहा, बल्कि एक संतुलित समाधान की तलाश में है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तिरुपति और शिरडी जैसे बड़े धार्मिक स्थलों का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि एक न्यायसंगत व्यवस्था बनाई जा सके।

गौर करने वाली बात

अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को सुबह 10:30 बजे होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं और राज्य सरकार की दलीलों पर आगे विचार करेगा। यह मामला न सिर्फ मंदिर के अधिकार का है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि भारत जैसे धार्मिक देश में धार्मिक संस्थाओं का संचालन किसके हाथों में होना चाहिए- जनता, मंदिर ट्रस्ट या सरकार?

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