Rakshabandhan in Ghaziabad : गाजियाबाद के जिला कारागार डासना में कैदियों द्वारा बनाई गई राखियां इस रक्षाबंधन पर शहरवासियों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। रंग-बिरंगी, आकर्षक और हस्तनिर्मित ये राखियां न केवल अपनी सुंदरता से लोगों का मन मोह रही हैं, बल्कि कैदियों के हुनर और उनके पुनर्वास के प्रयासों को भी उजागर कर रही हैं। जेल प्रशासन द्वारा शुरू किए गए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत कैदियों को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी बनाई राखियां बाजार में धूम मचा रही हैं।
जेल अधीक्षक सीताराम राम शर्मा ने बताया कि जिला कारागार डासना में कैदियों के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और समाज में पुनर्वास के लिए तैयार करना है। इस प्रोग्राम के तहत पुरुष और महिला कैदियों को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें विभिन्न प्रकार की राखियां, जैसे मोती, धागा, कढ़ाई और क्रोशिया से सजी राखियां बनाने की कला सिखाई गई। ये राखियां न केवल सुंदर हैं, बल्कि किफायती भी हैं, जिसके कारण स्थानीय बाजारों और प्रदर्शनियों में इनकी भारी मांग है।
जेल में बनी राखियों की खासियत यह है कि इन्हें बनाने में कैदियों ने अपनी रचनात्मकता और मेहनत का पूरा उपयोग किया है। रंग-बिरंगे धागों, चमकीले मोतियों और पारंपरिक डिजाइनों से सजी ये राखियां हर वर्ग के लोगों को पसंद आ रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन राखियों में एक अनूठी भावना झलकती है, क्योंकि इन्हें बनाने वाले कैदी अपने जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
जेल प्रशासन ने राखी बिक्री के लिए शहर में कई स्टॉल भी लगाए हैं, जहां लोग इन्हें खरीदकर कैदियों के प्रयासों को समर्थन दे रहे हैं। इस पहल से न केवल कैदियों को आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और सामाजिक स्वीकार्यता भी मिल रही है। जेल अधीक्षक के अनुसार, इस तरह के कार्यक्रम कैदियों को नई शुरुआत करने का मौका देते हैं और समाज में उनकी सकारात्मक छवि बनाने में मदद करते हैं।
कपिल मेहरा- गाजियाबाद
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