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छतों पर जल रही चिताएं…दाह संस्कार के लिए शवों की लंबी कतारें, काशी में मणिकर्णिका घाट पर बाढ़ का कहर

long queues of bodies for cremation flood wreaks havoc at Manikarnika Ghat in Kashi Varanasi
inkhbar News
  • Last Updated: August 4, 2025 21:04:55 IST

Varanasi Manikarnika Ghat : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मां गंगा के उफान ने मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट की स्थिति को गंभीर बना दिया है. गंगा का जलस्तर 72 मीटर को पार कर गया है, जिसके चलते दोनों प्रमुख श्मशान घाटों पर दाह संस्कार की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है. घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं और अब अंतिम संस्कार घाट की छतों और आसपास की गलियों में किए जा रहे हैं. लेकिन इस आपदा को अवसर में बदले जाने की भी खूब कोशिश की जा रही है.

शवों की लंबी कतारें, छतों पर जल रहीं चिताएं

मिली जानकारी के अनुसार मणिकर्णिका घाट पर शवों की लंबी कतारें लगी हुई हैं और लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए 5 से 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. घाट जलमग्न होने के कारण छतों पर एक साथ 8-10 चिताएं जलाई जा रही हैं. गीली लकड़ियों के कारण चिता को पूरी तरह जलाने में ही 5-6 घंटे का समय लग रहा है.

लकड़ियों की किल्लत और बढ़े दाम

इसके साथ साथ बाढ़ और बारिश के कारण लकड़ियां भीग चुकी हैं और अब उनकी आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है. लकड़ी का दाम पहले जहां ₹600-700 प्रति मन था,अब ₹1000 से ₹1200 प्रति मन तक वसूला जा रहा है. शवदाह कराने आए परिजनों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है.

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नाव से शव लाने पर भी अतिरिक्त वसूली

घाट तक पहुंचने का मार्ग पूरी तरह जलमग्न होने के कारण अब शवों को नाव से घाट तक लाया जा रहा है. इस परिजन यात्रा के लिए 200 से 500 रुपये तक अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं. मणिकर्णिका की गलियों में नावें चल रही हैं और शव यात्रियों को लंबे समय तक पानी में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.

हरिश्चंद्र घाट की स्थिति और भी गंभीर

हरिश्चंद्र घाट पर हालात और भी ज्यादा खराब हैं. जलस्तर बढ़ने से यहां अब गलियों में ही शवदाह किया जा रहा है. बाढ़ से पहले जहां रोजाना 20-25 शवों का अंतिम संस्कार होता था,अब यह संख्या घटकर 5-8 रह गई है. शवदाह में 2 से 3 घंटे तक का समय लग रहा है और संसाधनों की भारी कमी हो गई है.

प्रशासन की ओर से राहत के प्रयास नाकाफी

स्थानीय लोगों और अंतिम संस्कार कराने आए परिजनों का कहना है कि प्रशासन की ओर से कोई विशेष राहत नहीं दी जा रही है. घाटों पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है. जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे स्थिति और गंभीर होने की आशंका है.