FIDE Women’s World Cup 2025: भारतीय शतरंज के इतिहास में सोमवार को नया चैप्टर जुड़ गया हैं। FIDE Women’s World Cup 2025 के फाइनल में 19 साल की दिव्या देशमुख (Divya Deshmukh) ने कोनेरु हम्पी को हराया। दोनो भारतीय स्टार को बीच फाइनल में जोरदार जंग देखने को मिली। दिव्या देशमुख की यह जीत केवल एक टूर्नामेंट की जीत नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा का सफर है जो भारत की लाखों लड़कियों को यह दिखाता है कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
नागपुर की रहने वाली दिव्या ने छोटी उम्र में ही शतरंज की गोटी पर अपने हुनर का जलवा बिखेरना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और बचपन से ही उन्हें प्रशिक्षकों और टूर्नामेंट्स के लिए पूरा सहयोग दिया। वह 6 साल की उम्र से शतरंज खेल रही हैं और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुकी हैं।
फाइनल में दिव्या देशमुख का मुकाबला भारत की ही दिग्गज ग्रैंडमास्टर कोनेरु हम्पी से था। हम्पी, जो खुद शतरंज की दुनिया में एक आदर्श मानी जाती हैं, दिव्या को लिए कोनेरु हम्पी को हराना आसान नहीं था। लेकिन दिव्या ने शांत, संतुलित और रणनीतिक खेल से सबको चौंका दिया। मैच के बाद हम्पी ने भी दिव्या की तारीफ करते हुए कहा, “दिव्या का खेल शानदार था, उसने यह जीत पूरी तरह से अपने प्रदर्शन से हासिल की है।”
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भारत में अब महिला शतरंज तेजी से लोकप्रिय हो रही है। दिव्या की यह ऐतिहासिक जीत न केवल युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी, बल्कि यह भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक सशक्त बनाएगी। खेल मंत्रालय और शतरंज महासंघ को अब महिला खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं, पुरस्कार और ट्रेनिंग की व्यवस्था करनी चाहिए।
जीत सिर्फ बोर्ड पर नहीं, सोच में भी होनी चाहिए। दिव्या देशमुख ने दिखा दिया कि युवा भी इतिहास रच सकते हैं, लेकिन अब समय है कि समाज और खेल संस्थाएं भी अपनी सोच में बदलाव लाएं। जेंडर पे गैप जैसी असमानताओं को खत्म कर एक समान और न्यायपूर्ण खेल वातावरण तैयार करना ज़रूरी है।