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श्रीमद् भगवद गीता: एक आध्यात्मिक ग्रंथ, जो आज भी करता है जीवन का मार्गदर्शन

Bhagavad Gita
inkhbar News
  • Last Updated: August 5, 2025 14:27:39 IST

Bhagavad Gita: श्रीमद्भगवद गीता, जिसे अक्सर “गीता” के नाम से जाना जाता है, केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का विज्ञान है। यह ग्रंथ 700 श्लोकों में समाहित वह ज्ञान है जो भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को दिया था। आज के तनावपूर्ण और अनिश्चित समय में भी यह ग्रंथ लोगों को मानसिक शांति और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है।

गीता का ऐतिहासिक महत्व

भगवद गीता महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है। इसमें धर्म, कर्म, योग, आत्मा और मोक्ष जैसे विषयों पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग के माध्यम से जीवन जीने की अच्छी विधि बताई है।

समाज में गीता की भूमिका

आज के युवा गीता को आत्मविकास और मानसिक संतुलन के लिए भी पढ़ रहे हैं। भारत ही नहीं, विदेशों में भी गीता को एक दार्शनिक ग्रंथ के रूप में अपनाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में यह एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है।

भगवद गीता के मुख्य संदेश क्या हैं?

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” (कर्म करो, फल की चिंता मत करो) यानी अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभाओ, फल की अपेक्षा मत रखो। भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों मार्ग हैं मोक्ष के लिए। श्रीकृष्ण ने सभी को अपनाने की आज्ञा दी, परंतु भक्ति को सबसे ऊपर बताया है।

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सरकार और संस्थाओं की पहल

भारत सरकार ने हाल ही में स्कूली शिक्षा में गीता के कुछ अंशों को शामिल करने की घोषणा की है, जिससे बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास हो सके। इसके अलावा हर साल गीता जयंती पर देशभर में आयोजन किए जाते हैं, जिनमें गीता पाठ और प्रवचन शामिल होते हैं।
भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को समझने और उसे सही दिशा देने वाला एक अमूल्य उपहार है। इसकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही जरुरी हैं जितनी हज़ारों वर्ष पहले थीं। यह न केवल युद्ध से जुड़ा संवाद है, बल्कि जीवन का मार्ग दर्शन भी है।