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जानिए क्या हैं रामचरितमानस, ऐसा था इसको लिखने वाले महान संत तुलसीदास जी का जीवन

Tulsidas Jayanti 2025
inkhbar News
  • Last Updated: July 31, 2025 12:11:53 IST

Tulsidas Jayanti 2025: तुलसीदास जयंती हर साल श्रावण मास की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। आज पूरे देश में यह जयंती धूमधाम से मनाई जा रही हैं। जो महान कवि-संत गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्मतिथि मानी जाती है। तुलसीदास जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जन्म के बाद उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि उनका बचपन बहुत संघर्षपूर्ण था और उन्हें माता-पिता से भी दूर रहना पड़ा।

तुलसीदास जी की भक्ति यात्रा

तुलसीदास जी भगवान श्रीराम के परम भक्त थे। वे जीवनभर श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने में लगे रहे। विवाह के बाद जब उनकी पत्नी रत्नावली ने उन्हें सांसारिक मोह से विरक्त होकर प्रभु की भक्ति में लीन होने की प्रेरणा दी, तब से तुलसीदास ने सांसारिक जीवन त्यागकर रामभक्ति का मार्ग अपनाया।

कितनी काव्य में लिखी गई रामचरितमानस

रामचरितमानस को तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखा, जिससे आमजन तक श्रीराम की कथा पहुँची। यह काव्य 7 कांडों में विभाजित है। बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड। इस ग्रंथ को हिंदू धर्म में उतना ही महत्व प्राप्त है जितना संस्कृत में लिखे गए रामायण को। रामचरितमानस केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि नीति, मर्यादा, आदर्श और भक्ति का जीवंत प्रतीक है। तुलसीदास जी की अन्य रचनाएं भी हैं जैसे हनुमान चालीसा,कवितावली, विनय पत्रिका, दोहावली, रामलला नहछू, पार्वती मंगल, जानकी मंगल और बरवै रामायण।

तुलसीदास जी की भक्ति का क्या प्रभाव

  • समाज में धार्मिक जागरूकता का प्रसार।
  • संस्कृत से अलग, जनभाषा में अध्यात्म।
  • संत समाज और रामानंदी परंपरा में योगदान।
  • हनुमान भक्ति का प्रचार।

कैसे मनाई जाती है तुलसीदास जयंती?

  • मंदिरों में रामचरितमानस का पाठ।
  • हनुमान चालीसा का पाठ और भजन-कीर्तन।
  • कविता पाठ, संत-संग, और प्रवचन का आयोजन।
  • तुलसीदास जी की शिक्षाओं को याद किया जाता है।
  • वाराणसी और चित्रकूट में विशेष आयोजन।

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तुलसीदास जी न केवल एक संत और कवि थे, बल्कि भारतीय संस्कृति और भक्ति परंपरा के स्तंभ हैं। उनकी रचनाएँ आज भी लोगों को धर्म, नीति और भक्ति की राह दिखाती हैं। रामचरितमानस एक ऐसा अमर ग्रंथ है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी जीवन के आदर्शों से जोड़ती रहेगी। इस तुलसीदास जयंती पर आइए हम उनके आदर्शों को जीवन में उतारें और श्रीराम की मर्यादा,भक्ति और सेवा भावना को अपनाएं।