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राजस्थान से हैरान कर देने वाला मामला : जिंदा बेटी का पिता ने छपया शोक संदेश, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

rajasthan
inkhbar News
  • Last Updated: August 10, 2025 11:23:10 IST

Rajasthan News : राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड के सरेरी गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पिता ने अपनी जिंदा बेटी की शोक पत्रिका छपवा दी और पूरे गांव में यह संदेश फैला दिया कि उसकी बेटी अब उनके लिए “मर” चुकी है। यह अजीबोगरीब घटना सामाजिक मान्यताओं और रिश्तों की जटिलता को उजागर करती है। इस घटना के बाद से सभी लोग हैरान है। सभी का एक ही सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिता को अपनी ही बेटी के मरने की खबर छपानी पड़ी है। इस घटना के बाद से लोगों में यह बात चर्चा का विषय नही हुई है।

क्या है पूरा मामला

मामला बरेली गांव के रहने वाले भैरू लाल जोशी का है। उन्होंने अपनी बेटी पूजा की शादी गांव के ही संजय तिवाड़ी से बड़े धूमधाम से की थी। शादी में लाखों रुपये खर्च हुए थे और पूरे गांव में जश्न का माहौल था। लेकिन शादी के कुछ ही दिनों बाद पूजा अपने पति के एक रिश्तेदार सूरज तिवाड़ी के साथ प्रेम संबंध में पड़ गई। बाद में वह शादीशुदा जिंदगी खत्म कर सूरज के साथ भाग गई और उससे लव मैरिज कर ली। यह घटना भैरू लाल के लिए गहरे आघात का कारण बनी। पुलिस द्वारा पूजा को थाने लाया गया, लेकिन वहां उसने अपने ही पिता के खिलाफ बयान दे दिया। इससे आहत होकर भैरू लाल ने समाज के सामने यह घोषणा कर दी कि उनकी बेटी उनके लिए मर चुकी है।

सम्मान और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना पड़ा भारी

इसके बाद उन्होंने पूजा के नाम की शोक पत्रिका छपवाई, जिसमें लिखा था कि पूजा का विवाह 25 अप्रैल 2025 को हुआ था और वह “29 जुलाई 2025 को चली गई”। इस पत्रिका में स्पष्ट किया गया कि उनके परिवार के लिए वह अब स्वर्गवास हो चुकी है। यहां तक कि उन्होंने घर के बाहर श्राद्ध कर्म के लिए 12 दिनों का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया। भैरू लाल का कहना है कि उनकी बेटी ने जिस तरह उनके खिलाफ बयान दिया, वह उनके सम्मान और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला था। इसलिए उन्होंने सामाजिक संदेश देने के लिए यह कदम उठाया। इस पूरे मामले ने गांव और आसपास के इलाके में हलचल मचा दी है।

लोगों के बीच चर्चा का विषय

लोग इस घटना को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग पिता के कदम को अत्यधिक कठोर बता रहे हैं, तो कुछ इसे समाज की परंपराओं और मर्यादाओं को बचाने की कोशिश मान रहे हैं। वहीं, कई लोग इसे व्यक्तिगत और पारिवारिक मामले में भावनाओं के अतिरेक का उदाहरण मानते हैं। यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि बदलते समय में रिश्तों और समाज के बीच की खाई कितनी गहरी होती जा रही है और व्यक्तिगत फैसलों पर सामाजिक दबाव किस तरह असर डालता है।