Written By: Jesika verma
India’s Water Strike: भारत ने हाल ही में 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को टाल दिया है। इसका मतलब है कि अब वह पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकने पर विचार कर रहा है। इसके बाद भारत ने चिनाब नदी पर कई बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है।
भारत सरकार ने Pakal Dul (1000 MW), Kiru (624 MW), Kwar (540 MW) और Ratle (850 MW) जैसे चार प्रमुख जल विद्युत स्कीमों को तेजी से आगे बढ़ाने की मंजूरी दी है। इनमें से Ratle 2026 में, और बाकी 2028 तक चालू करने की योजना है। यह कदम चिनाब नदी से बहते पानी को पाकिस्तान तक पहुंचने से रोकने की दिशा में माना जा रहा है।
हिन्दुस्तान सरकार का मानना है कि ‘बंदू और पानी साथ नहीं रह सकते’, यानी दुश्मनी और पानी बाँटना एक साथ नहीं चल सकता। सलाल और बगलिहार बांधों के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं, जिससे चिनाब में बहाव लगभग 61% तक घट गया है, और पानी की मात्रा 90% तक कम कर दी गई है। भारत इस साल Sialkot हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए टेंडर भी जारी कर चुका है।
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि इस संधि को फिर कभी नहीं बहाल किया जाएगा और जो पानी पाकिस्तान को जाता था, वह अब भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली तक पहुंचाया जाएगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ,संसद में कहा कि यह निर्णय ‘नेहरू काल की गलतियों को सुधारने’ जैसा है और यह बताता है।
पाकिस्तान ने इस फैसले को “अवैध” और “प्रोवोकेटिव” बताया है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है ना जाता है कि यह कदम एक ‘पानी युद्ध’ की शुरुआत भी हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल भारत के पास बड़ी जल संरचना नहीं है, लेकिन भविष्य में इन बांधों से पानी के प्रवाह को सीमित करने की योजना पूरी हो सकती है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और बिजली सप्लाई प्रभावित होगी।
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