SCO summit : चीन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करेगा, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि चीन एससीओ तियानजिन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करता है. उन्होंने यह भी बताया कि चीन को विश्वास है कि सभी देशों के सम्मिलित प्रयासों से यह सम्मेलन एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का साक्षी बनेगा, और एससीओ एक नए चरण में प्रवेश करेगा, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले विकास और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा.
प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा एससीओ शिखर सम्मेलन तक सीमित नहीं होगी. इसके साथ ही, उनकी जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना भी जताई जा रही है.
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा 2018 में चीन की उनकी आखिरी यात्रा के बाद हो रही है, जब उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान में एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन किया था. इसके बाद, जून 2018 में उन्होंने क़िंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था.
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हालांकि, इन यात्राओं के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गिरावट आई, खासकर 2020 में लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच संघर्ष और गलवान घाटी में हुए खूनी झड़पों के कारण. इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों और कम से कम 4 चीनी सैनिकों की मौत हो गई,जिसके बाद दोनों देशों के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे.फिर 21 अक्टूबर 2024 को, दोनों देशों ने एलएसी गतिरोध को समाप्त करने पर सहमति जताई, और इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान (रूस) में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने और सीमा विवाद को सुलझाने के लिए नए तंत्रों को पुनर्जीवित करने पर सहमति बनी थी.
पीएम मोदी की आगामी यात्रा से दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक की संभावना है, जिसमें प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जैसे कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करना, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की शुरुआत, सीमा व्यापार केंद्रों को फिर से खोलना, और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देना. प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकती है.