Amit Shah in Rajya Sabha:ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच जमकर घमासान हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को जैसे ही अपना संबोधन शुरू किया तो विपक्षी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को बुलाने के नारे लगाते हुए वॉकआउट कर दिया। शाह ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर से लेकर आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच देश में कुल 7,217 आतंकी घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन जून 2015 से मई 2025 के बीच यह संख्या सिर्फ 2,150 रह गई, यानी 70 फीसदी की कमी आई है।
संसद में अमित शाह ने संबोधन शुरू किया तो विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वो पीएम मोदी को सदन में देखना चाहते थे। विपक्ष ने मांग की कि सरकार का पक्ष प्रधानमंत्री मोदी खुद रखें। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
वहीं, अमित शाह ने संसद (Amit Shah in Rajya Sabha) को जानकारी देते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगारों को सेना ने ऑपरेशन महादेव में मार गिराया है। शाह ने कहा कि पीड़ित परिवारों ने मुझे मैसेज में कहा था कि इन आतंकियों को सिर पर गोली मारिएगा, सेना ने भी इन आतंकियों के सिर पर गोली मारी है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 22 अप्रैल को मेरी प्रधानमंत्री मोदी से बात हुई। मैं शाम को ही वहां पहुंच गया था। मैं पीड़ित परिवारों से मिला। 6 दिन की शादी वाली एक विधवा थी, मैं अपने जीवन में वो दृश्य नहीं भूल सकता। ऐसा जघन्य अपराध कभी नहीं हुआ। धर्म पूछकर ऐसा कुकृत्य किया। क्यों मारा गया… वो संदेश देना चाहते थे कि वो कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त नहीं देखना चाहते थे। मैं उनको संदेश देना चाहता हूं कि कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करके रहेंगे।
यह भी पढ़ें: “मुझे कंट्रोल मत कीजिए”, राज्यसभा में शिवसेना सांसद पर क्यों भड़कीं जया बच्चन?
अमित शाह (Amit Shah in Rajya Sabha)ने कहा कि पीएम मोदी ने 24 को बिहार में कहा था। बकौल पीएम मोदी, “22 अप्रैल को किया यह हमला निहत्थे पर्यटकों पर नहीं, भारत पर दुस्साहसी हमला है। उन्हें कल्पना से भी बढ़कर सजा दी जाएगी। आतंकियों के बीच बची-खुची जमीन है, उसे भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। भारतवासी एकजुट हैं- उन आतंक के आकाओं को सबक सिखाने के लिए। आतंकवाद कभी भी भारत की आत्मा को तोड़ नहीं पाएगा।”
यह भी देखें: Bangladesh Hindu Tax: बांग्लादेश में हिंदू इलाक़ों में फिर विवाद, क्या दोहराया जा रहा है इतिहास?