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मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में NIA की विशेष अदालत का बड़ा फैसला, साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपी बरी

Malegaon Blast Case
inkhbar News
  • Last Updated: July 31, 2025 15:19:31 IST

Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए बम ब्लास्ट मामले में आज फैसला आ गया है। एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। दरअसल, विशेष अदालत के जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस बाइक में बम रखा गया था। जिसको लेकर अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।

2011 में NIA को सौंपा था मामला

जानकारी के मुताबिक 2011 में यह मामला NIA को सौंप दिया गया था। एनआईए की जांच के दौरान सात आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद साल 2018 में मुकदमा शुरू हुआ था।

भिक्कू चौक के पास हुआ था जोरदार धमाका

गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 की रात में मालेगांव (Malegaon Blast Case) के भिक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ था। इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे। साथ ही 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जांच में सामने आया था कि एक बिजी चौराहे के पास एक बाइक पर लगा बम फटा था जिसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी।

शुरुआत में एटीएस ने की थी जांच

बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट हाल के दिनों में सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मुकदमों में से एक रहा है। शुरुआत में मामले की जांच ATS ने की। इस मामले ने तूल उस वक्त पकड़ा जब जांच के दौरान हिंदू दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की गई।

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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी हुई थी गिरफ्तार

इसी दौरान भगवा आतंकवाद नाम का मुहावरा भी सामने आया। ब्लास्ट (Malegaon Blast Case) मामले में गिरफ्तार लोगों में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित भी शामिल रहे। हालांकि, आज कोर्ट ने इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।

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मालेगांव बम ब्लास्ट का पूरा टाइमलाइन

  1. 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट में मारे 6 लोग मारे गए थे जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
  2. अक्टूबर, 2008 में ATS ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया। बाद में पुरोहित को भी गिरफ्तार किया गया।
  3. जनवरी, 2009 में महाराष्ट्र ATS ने इस मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया था। इसके बाद अप्रैल, 2022 में इस मामले की जांच NIA को सौंपी गई।
  4. साल 2016 में NIA ने पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। हालांकि, कुछ आरोप हटाए गए लेकिन प्रमुख आतंकवाद संबंधी आरोप बरकरार रहे।
  5. साल 2018 में 7 आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए। वहीं, इस मामले में साल 2018-2023 अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की। हालांकि, 40 गवाह अपने बयान से पलट गए।
  6. अप्रैल 2025 में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया।
  7. 31 जुलाई 2025 को इस मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया। जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गाया।