Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए बम ब्लास्ट मामले में आज फैसला आ गया है। एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। दरअसल, विशेष अदालत के जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस बाइक में बम रखा गया था। जिसको लेकर अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।
जानकारी के मुताबिक 2011 में यह मामला NIA को सौंप दिया गया था। एनआईए की जांच के दौरान सात आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद साल 2018 में मुकदमा शुरू हुआ था।
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 की रात में मालेगांव (Malegaon Blast Case) के भिक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ था। इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे। साथ ही 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जांच में सामने आया था कि एक बिजी चौराहे के पास एक बाइक पर लगा बम फटा था जिसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी।
बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट हाल के दिनों में सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मुकदमों में से एक रहा है। शुरुआत में मामले की जांच ATS ने की। इस मामले ने तूल उस वक्त पकड़ा जब जांच के दौरान हिंदू दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की गई।
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इसी दौरान भगवा आतंकवाद नाम का मुहावरा भी सामने आया। ब्लास्ट (Malegaon Blast Case) मामले में गिरफ्तार लोगों में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित भी शामिल रहे। हालांकि, आज कोर्ट ने इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।
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