Gurugram: गुरुग्राम में बृहस्पतिवार की दोपहर हुई मूसलाधार बारिश ने न सिर्फ शहर की सड़कों को जलमग्न किया, बल्कि सरकारी दावों और जिम्मेदारों की नाकामी भी उजागर कर दी। वर्षों से दोहराई जा रही समस्या एक बार फिर सामने आ रही हैं। हर साल करोड़ों रुपये ड्रेनेज सिस्टम की सफाई और सड़क निर्माण पर खर्च किए जाते हैं। फिर भी हर मानसून में गुरुग्राम डूब जाता है।
नरसिंहपुर (NH-48) की सर्विस लेन में मानसून से पहले कई बार निरीक्षण किए गए, लेकिन भारी बारिश के कुछ ही मिनटों में 4 फीट तक पानी भर गया। वाहन फंस गए, यात्री परेशान होते रहे। सुभाष चौक की सड़कें तालाब बन गई। बच्चे मजे में तैरते नजर आए, लेकिन पीछे छिपा दर्द यह था कि यह एक बड़ा ट्रैफिक प्वाइंट है और पूरे शहर की रफ्तार यहां रुक गई। इसी के साथ IFFCO चौक, हीरो होंडा चौक, ओल्ड DLF कॉलोनी, पालम विहार, पटौदी रोड जैसे कई इलाकों में भी जलभराव ने लोगों को घरों में कैद कर दिया हैं।
बारिश के बीच ही ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने वीडियो और फोटो साझा कर प्रशासन पर सवाल उठाए। ये गुरुग्राम है या वेनिस? जैसे तंज कसे गए। और कहा हर बार चुनावों से पहले वादे और हर बार बारिश में धोखा!विधायकों से लेकर मंत्री तक, हर कोई जनता के निशाने पर हैं।
बारिश के बाद जहां जनता परेशान नजर आई, वहीं स्थानीय नेताओं और नगर निगम के आला अफसरों की प्रतिक्रिया या तो बेहद साधारण रही या पूरी तरह नदारद। प्रशासन ने केवल इतना कहा कि “पंपिंग मशीनें लगाई गई हैं और जलनिकासी का कार्य तेज़ी से चल रहा है।”
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यह सिर्फ बारिश नहीं थी, बल्कि एक इम्तिहान था। नेताओं की नीयत का, प्रशासन की कार्यशैली का और व्यवस्था की मजबूती का और एक बार फिर गुरुग्राम इस इम्तिहान में फेल हो गया।