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‘स्वदेस’ या ‘चक दे इडिंया’ नहीं, ‘जवान’में शाहरुख खान ने क्या किया?

Shah Rukh Khan
inkhbar News
  • Last Updated: August 7, 2025 15:39:19 IST

Shah Rukh Khan: शाहरुख खान बॉलीवुड में हमेशा से ‘रोमांस के किंग’ कहे जाते रहे हैं, लेकिन फिल्म ‘जवान’ में उन्होंने जो रूप दिखाया, वो उनके अब तक के करियर से पूरी तरह अलग और बेहद असरदार है। देशभक्ति, न्याय की लड़ाई, महिला सशक्तिकरण, सिस्टम के खिलाफ विद्रोह और एक पिता-बेटे का इमोशनल रिश्ता इन सब परतों को शाहरुख ने बखूबी जिया है। शाहरुख खान को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिलना चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। कुछ लोग उनकी इस जीत को सेलिब्रेट कर रहे हैं, जबकि कुछ ‘जवान’ फिल्म के लिए ये अवॉर्ड मिलने पर थोड़े कम खुश हैं। लेकिन क्या ‘जवान’ में शाहरुख की परफॉरमेंस सॉलिड नहीं थी? चलिए इस पर बात करते है।

अगस्त की शुरुआत शाहरुख खान फैन्स के लिए वो खुशखबरी लेकर आई जिसका इंतजार उन्हें तीन दशकों से था. 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में शाहरुख को फिल्म ‘जवान’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का नेशनल अवॉर्ड मिला। एक सुपरस्टार के तौर पर शाहरुख के पास क्या कुछ नहीं है, दर्शकों का प्यार, ढेर सारे अवॉर्ड और बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कामयाबी. मगर वो जनता जो शाहरुख की एक्टिंग की मुरीद है, उसे अपने सुपरस्टार के खाते में इस नेशनल अवॉर्ड की कमी बहुत खलती थी।

‘स्वदेस’ या ‘चक दे इंडिया’ से तुलना क्यों?

‘स्वदेस’ में मोहन भार्गव का किरदार शांत, गंभीर और संवेदनशील था, जो एक वैज्ञानिक का था। ‘चक दे इंडिया’ में कबीर खान का रोल एक रिडेम्पशन आर्क के साथ आया था जहां उन्होंने सम्मान लौटाने की लड़ाई लड़ी। वही ‘जवान’ में ये सबकुछ मिला-जुला है। संवेदना, रिडेम्पशन, रिवोल्यूशन और देशभक्ति। यही बात इसे शाहरुख की सबसे परिपक्व और जटिल भूमिकाओं में से एक बनाती है।

क्या शाहरुख खान की परफॉरमेंस नहीं थी नेशनल अवॉर्ड लायक?

‘जवान’ में शाहरुख की परफॉरमेंस एंटरटेनिंग तो बहुत थी. इस बात का सबूत ये है कि 2023 में ही बड़े पर्दे आई फिल्म ‘पठान’ के करीब 3.5 करोड़ टिकट बिके थे। जबकि इससे 8 महीने बाद आई ‘जवान’ के 3.9 करोड़ टिकट बिके थे। मगर यह गंभीर फिल्म ना होकर एक पॉपुलर एंटरटेनमेंट देने वाली फिल्म होने के कारण ‘जवान’ के लिए शाहरुख को नेशनल अवॉर्ड मिलना बहुत लोगों को हैरान कर रहा है। शाहरुख की फिल्मोग्राफी में कई फिल्में हैं जिनमें लोगों को उनका अभिनय ‘गंभीर’ लगता है और कहा जा रहा है कि इन फिल्मों में उनका काम नेशनल अवॉर्ड के लिए ज्यादा डिजर्विंग था.

‘स्वदेस’, ‘चक दे इंडिया’, ‘पहेली’ और ‘देवदास’ जैसी फिल्मों में शाहरुख के काम का हवाला देते हुए लोग ‘जवान’ में उनके काम को नेशनल अवॉर्ड के लिए ‘कम डिजर्विंग’ मान रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पॉपुलर एंटरटेनमेंट देने वाली फिल्मों में एक्टिंग को लेकर एक किस्म का पूर्वाग्रह रहता है? क्या एक फिल्म अगर एंटरटेनमेंट दे रही है तो उसमें एक्टर्स का काम गंभीर नहीं होता?

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जवान सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन

एटली द्वारा निर्देशित इस फिल्म में शाहरुख ने दो किरदार निभाए है एक फौजी पिता ‘विक्रम राठौड़’ और एक सिस्टम से लड़ता हुआ बेटा ‘अज़ाद’। दोनों किरदारों में उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और इमोशनल गहराई बिल्कुल अलग थी।

यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं देती, बल्कि भ्रष्टाचार, हेल्थकेयर सिस्टम, किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाती है। इसे आज के समय की “सोशल कमर्शियल सिनेमा” कहा जा सकता है।