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मतदान को सुगम बनाने के लिए राज्य में 12,817 नए केंद्र, एक बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता करेंगे मत का उपयोग

Bihar Chunav 2025
inkhbar News
  • Last Updated: July 20, 2025 11:45:12 IST

Bihar Chunav 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य भर में व्यापक स्तर पर मतदान केंद्रों के युक्तिकरण की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है.

एक मतदान केंद्र अधिकतम 1200 मतदाता

राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने जानकारी दी कि आयोग ने प्रति मतदान केंद्र अधिकतम 1200 मतदाताओं के मानक के आधार पर कुल 12,817 नए मतदान केंद्र बनाए हैं.इस नई व्यवस्था के तहत अब बिहार में मतदान केंद्रों की कुल संख्या 90,712 हो गई है.

क्या है युक्तिकरण प्रक्रिया?

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, युक्तिकरण प्रक्रिया के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1200 से अधिक न हो.इससे न केवल मतदान प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकेगा,बल्कि लंबी कतारों से भी छुटकारा मिलेगा और मतदाताओं को बेहतर सुविधा मिल सकेगी.

राजनीतिक दलों को दी गई जानकारी

निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे नवगठित मतदान केंद्रों की जानकारी सभी राजनीतिक दलों को तुरंत उपलब्ध कराएं. इसके अलावा आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि राज्य का हर मतदाता समय रहते अपने मतदान केंद्र की जानकारी प्राप्त कर सके.

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19 जुलाई को साझा की गई जिलावार सूची

निर्वाचन आयोग ने शनिवार, 19 जुलाई को नवगठित बूथों की जिलावार सूची सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा कर दी है. यह कदम मतदाता पारदर्शिता और चुनाव की निष्पक्षता को बनाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

मतदान व्यवस्था में बड़ा बदलाव

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदान व्यवस्था में यह बड़ा बदलाव मतदाता सुविधा और चुनावी प्रक्रिया की दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. नए मतदान केंद्रों के गठन से न सिर्फ भीड़भाड़ कम होगी बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी लोगों को मतदान के लिए अधिक सुविधा मिलेगी. निर्वाचन आयोग की इस पहल को लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.