Written By: Jesika verma
Women Became Kingmakers: बिहार में महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी ने पिछले चुनावों में नया रुझान बताया अब राजनीतिक दलों की रणनीति में यह परिवर्तन का नया केंद्र बन चुका है।
2010 से महिला वोटर टर्नआउट लगातार पुरुषों से अधिक रहा है। 2020 में महिलाओं की भागीदारी लगभग 60% थी, जबकि पुरुषों की केवल 54% थी। यह पहली बार हुआ जब महिलाएं अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों से अधिक वोट डाल रही थीं।
इसमें कई वजहें शामिल हैं शिक्षा में सुधार, मीडिया के माध्यम से जागरूकता, और चुनाव आयोग का सिस्टमेटिक वोटर्स एजुकेशन कार्यक्रम। महिलाएं अब खुद को मतदान के लिए सशक्त महसूस कर रही हैं।
CM नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं के लिए पंचायतों में आरक्षण, ‘जीविका’ जैसी आर्थिक सहायता योजनाएं और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण जैसे कदम उठाए। इन कदमों के चलते महिलाएं न्याय और रोजगार संबंधी मुद्दों पर अधिक राजनीतिक भागीदारी दिखा रही हैं।
महिला वोटर बढ़ी हुई भागीदारी को राजनीतिक दलों ने ध्यान में लिया है। BJP की महिला मोर्चा ने अगस्त में एक बड़ा आउटरीच प्रोग्राम चलाया, जिसमें प्रवासी महिला कार्यकर्ताओं को भेजकर अभियान चलाया गया।
महिला वोटर बैंक सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि बदलते सामाजिक और राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि महिलाएं अब सिर्फ सशक्त हो रही हैं, बल्कि चुनावी दृष्टि से भी अब अवहेलित नहीं की जा सकतीं। यह लोकतंत्र को और अधिक समावेशी बनाता है। महिला मतदाता सिर्फ चुनावी आंकड़ों को नहीं बदल रही हैं, बल्कि वे सामाजिक सोच, नीतियों की दिशा और स्थानीय मुद्दों की प्राथमिकताओं को भी प्रभावित कर रही हैं। उनकी भागीदारी से लोकतंत्र अधिक संतुलित, संवेदनशील और समावेशी बन रहा है।
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