Written By: Jesika verma
Bihar Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष संक्षिप्त वोटर लिस्ट (SIR के तहत) 1 अगस्त को प्रकाशित की गई। इस ड्राफ्ट पर राजनीतिक दलों द्वारा संशोधन, जोड़ या हटाने की कोई आपत्ति तब तक दर्ज नहीं की गई जब तक कि 9 दिन बीत चुके थे। इस दौरान मात्र 7,252 व्यक्तिगत मतदाताओं ने नाम जोड़ने या हटाने के लिए आवेदन किया दिखाया गया है ये स्थिति इसलिए चिंताजनक है क्योंकि यह व्यापक मतदान प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा से मेल नहीं खाती।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद 9 दिनों तक सात से अधिक कोई राजनीतिक दल अपनी आपत्तियां दर्ज कराने नहीं आया है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, सभी दलों को समय से पहले सूची, जिसमें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, या संपर्क हीन मतदाताओं की जानकारी शामिल थी, बूथ-स्तरीय एजेंटों (BLAs) और पार्टियों को 20 जुलाई तक उपलब्ध कराई गई थी।
राजनीतिक दलों की मौनता के बावजूद, 7,252 व्यक्तियों ने व्यक्तिगत रूप से सुधार, नाम जोड़ने या हटाने संबंधी दावा या आपत्ति दर्ज करवाई है । इसके अलावा, युवा मतदाताओं के रूप में 43,000 से अधिक नए रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी प्राप्त हुए हैं।
Supreme Court ने 65 लाख से भी अधिक उन मतदाताओं की जानकारी देने की EC को चुनौती देते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिया गया है। कोर्ट ने उजागर किए जाने वाले कारणों जैसे मृत्यु, स्थानांतरण या अन्य की स्पष्टता की मांग की है।
ड्राफ्ट लिस्ट पर claims & objections की अवधि 1 अगस्त से शुरू होकर अब 1 सितंबर तक विस्तारित है अंतिम वोटर लिस्ट 30 सितंबर को प्रकाशित होगी । SIR आदेशों के अनुसार, किसी नाम को हटाए जाने से पहले ERO/AERO को सम्बंधित व्यक्ति को सुनवाई का मौका देना होता है और निर्णय स्पष्ट कारण सहित देना होता है।