Supreme court : बिहार में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी विवाद ने नया मोड़ लिया है. मामले को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रिम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अदालत से कहा है कि चुनाव आयोग के इस फैसले से राज्य में लाखों हाशिए पर पड़े लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे. यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है.
ADR द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि यदि 24 जून 2025 का SIR आदेश रद्द नहीं किया जाता है तो यह मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों मतदाताओं को अपने प्रतिनिधियों को चुनने से वंचित कर सकता है. जिसके कारण देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र बाधित हो सकता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं. निर्देश की दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं, उचित प्रक्रिया की कमी और बिहार में मतदाता सूची के उक्त विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए अनुचित रूप से कम समय सीमा इस अभ्यास को लाखों वास्तविक मतदाताओं के नामों को मतदाता सूची से हटाने के लिए बाध्य करती है, जिससे वे मताधिकार से वंचित हो जाते हैं.
ADR ने अपनी याचिका में कहा कि नागरिकता दस्तावेज के लिए SIR की आवश्यकता मुसलमानों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और प्रवासी श्रमिकों सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों को असमान रूप से प्रभावित कर सकती है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की जिम्मेदारी राज्य से हटाकर नागरिकों पर डाल दी है. इसमें आधार या राशन कार्ड जैसे पहचान दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे वंचित समुदायों और गरीबों के मतदान से वंचित होने की संभावना और बढ़ गई है. एसआईआर प्रक्रिया के तहत घोषणापत्र की आवश्यकता अनुच्छेद 326 का उल्लंघन करती है, क्योंकि इसमें मतदाता को अपनी नागरिकता और अपने माता या पिता की नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज देने की आवश्यकता होती है, ऐसा न करने पर उसका नाम मसौदा मतदाता सूची में नहीं जोड़ा जाएगा और उसे हटाया भी जा सकता है.
ADR ने अपने याचिका में कहा कि बिहार में गरीबी और पलायन की दर बहुत अधिक है. इसके साथ साथ कई लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र या माता-पिता के रिकॉर्ड जैसे दस्तावेज भी नहीं हैं. अनुमान के अनुसार 3 करोड़ से अधिक मतदाता और विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों जैसे एससी, एसटी और प्रवासी श्रमिक से आने वाले मतदाता एसआईआर आदेश में उल्लिखित कठोर आवश्यकताओं के कारण मतदान से बाहर हो सकते हैं.
बता दें कि इससे पहले भी एडीआर के चुनाव संबंधी याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव सुधार के लिए कई आदेश पारित किए है. ऐसे में अब ये देखना होगा की चुनाव आयोग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेता है.