ED raids on Anil Ambani Group : देश की प्रमुख जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA कंपनियों) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों की जांच शुरू करते हुए बड़ी कार्रवाई की है। ED की टीमों ने देशभर के 35 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है, जिसमें मुंबई स्थित अनिल अंबानी ग्रुप के कई महत्वपूर्ण कार्यालय शामिल हैं। यह कार्रवाई केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर के बाद शुरू हुई है। ED को इस जटिल मामले की जांच में नेशनल हाउसिंग बैंक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI), नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों से महत्वपूर्ण सहायता और जानकारी प्राप्त हुई है।
प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच में जो तस्वीर सामने आई है, वह चिंताजनक है। जांच एजेंसी का आरोप है कि एक सुनियोजित और व्यापक साजिश के तहत बैंकों, निवेशकों, शेयरहोल्डर्स और आम जनता के हजारों करोड़ रुपये की व्यवस्थित हेराफेरी की गई है। इस घोटाले में यस बैंक के प्रमोटर सहित कई वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का भी गंभीर आरोप लगाया गया है। ED की जांच में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह सामने आया है कि लोन की भारी मात्रा को अनिल अंबानी ग्रुप की अन्य कंपनियों और शेल कंपनियों के बीच घुमाया गया था। इस प्रक्रिया में कई मामलों में एवरग्रीनिंग का भी सहारा लिया गया, जिसका मतलब है कि पुराने लोन को नए लोन के रूप में दिखाकर वित्तीय हेराफेरी की गई थी।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से संबंधित एक विस्तृत रिपोर्ट ED को सौंपी है, जिसमें कई संदेहजनक वित्तीय गतिविधियों का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, RHFL ने अपने कॉर्पोरेट लोन को केवल एक वर्ष की अवधि में 3,742 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8,670 करोड़ रुपये कर दिया था, जो वित्तीय नियमों के हिसाब से अत्यधिक संदेहास्पद है। SEBI की जांच में यह भी पाया गया कि इस तेजी से बढ़े हुए लोन पोर्टफोलियो में कई महत्वपूर्ण नियमों की खुली अनदेखी की गई थी और वित्तीय प्रक्रियाओं में व्यापक गड़बड़ियां पाई गई थीं। यह सब एक बड़े वित्तीय घोटाले की ओर इशारा करता है जिसमें नियामक निकायों के मानदंडों का जानबूझकर उल्लंघन किया गया था।
यह कार्रवाई भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि यह दिखाती है कि चाहे कोई भी कितना बड़ा या प्रभावशाली व्यक्ति या समूह हो, वित्तीय अनियमितताओं और धन शोधन के मामले में कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। अभी तक की जानकारी के अनुसार, यह जांच अभी भी प्रारंभिक चरण में है और आने वाले दिनों में और भी चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले की गहन जांच करेंगे और सभी दोषी पक्षों के खिलाफ कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे।