Written By: Jesika verma
SBI‑PNB Banks: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत यह पता चला है कि पब्लिक सेक्टर बैंक (PSBs) लोन रिकवरी एजेंटों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। ये एजेंट वह लोग या कंपनियां होती हैं जिन्हें बैंक ऋण वसूलने के लिए नियुक्त करते हैं। लेकिन इनकी बढ़ती फीस और व्यवहार की वजह से सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित है।
RTI से खुलासा हुआ कि Bank of Maharashtra ही एकमात्र प्रमुख सरकारी बैंक है जिसने पिछले पांच वर्षों में एजेंट खर्च का साफ‑साफ विवरण साझा किया। 2019–20 में लगभग ₹14.26 करोड़ वह राशि खर्च की, जो बढ़कर 2023–24 में ₹31.08 करोड़ हो गई। एजेंटों की संख्या भी बढ़कर 547 उम्मीदवार तक पहुंच गई। हालांकि बैंक ने एजेंटों की फीस स्ट्रक्चर और आंतरिक नियम नहीं बताए, क्योंकि उन्होंने इसे “commercial confidence” बताया।
विशेषज्ञों ने यह खुलासा किया कि सबसे बड़े बैंक SBI ने RTI के तहत एजेंट खर्च की कोई जानकारी नहीं दी, अपील के बाद भी। बैंक ने कहा कि यह जानकारी “commercial confidence” के दायरे में आती है। Union Bank of India और UCO Bank ने भी इसी बहाने से जानकारी देने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि ऐसा करना “अति संसाधन‑खपत” होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार चेतावनी दी है कि बैंक तीसरे पक्ष एजेंटों को बैंक के राइड‑टू‑डोर भुगतान भेजते हैं, लेकिन इनमें कई बार डर‑धमकी और गलत तरीके शामिल होते हैं। यह ग्राहकों के लिए परेशानी बनता है। इतने अहम मामलों में भी बैंक खर्च की पारदर्शिता न दिखाना बड़े सवाल खड़े करता है। RTI के मुताबिक, Bank of Maharashtra ने सार्वजनिक किया कि वह एजेंटों पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है। लेकिन SBI, PNB, Union Bank जैसी बड़ी संस्थाएं पूरी जानकारी देने से इनकार कर रही हैं।
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