Delhi : राजधानी दिल्ली के कामायनी सभागार में आज यमुना संसद के तत्वावधान में “यमुनोत्सव” का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजन का मकसद यमुना संरक्षण को लेकर सामूहिक प्रयासों को गति देना है. इसके अंतर्गत यमुना नदी की स्वच्छता, तटीय सौंदर्यीकरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर ध्यान दिया जाएगा. कार्यक्रम में दिल्ली के प्रमुख जन प्रतिनिधियों,सामाजिक कार्यकर्ताओं,छात्रों, संतों और पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।

यमुना केवल नदी नहीं बल्कि सांस्कृतिक चेतना की धारा
कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य यमुना नदी की भयावह प्रदूषण स्थिति, तटों की दुर्दशा और उनके संरक्षण की दिशा में आवश्यक सामूहिक प्रयासों पर ध्यान देना था. कार्यक्रम में वक्ताओं ने यमुना को सिर्फ एक जलधारा नहीं बल्कि इसे भारतीय संस्कृति की संवाहक और जनमानस की आस्था का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम में किसने क्या कहा
संयोजक रवि शंकर तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि यमुना का संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक का नैतिक दायित्व है। जब तक जनसहभागिता नहीं होगी तब तक किसी भी योजना की सफलता अधूरी रहेगी। वहीं कार्यक्रम की संरक्षक कीर्ति शर्मा ने यमुना को मां का दर्जा देते हुए कहा कि जब तक हम यमुना से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ेंगे, तब तक उसके लिए सार्थक प्रयास संभव नहीं हैं। इस दौरान दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशिष सूद ने शिक्षा के माध्यम से पर्यावरणीय चेतना के प्रचार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “स्कूलों और कॉलेजों में यमुना की कहानी और संकट को पढ़ाया जाना चाहिए, तभी भावी पीढ़ी जिम्मेदार नागरिक बन सकेगी। दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने कार्यक्रम में बोलते कहा कि यमुना का तट केवल भूखंड नहीं, हमारी आस्था और संस्कृति का केंद्र है। इसे संवारना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे सामाजिक अभियान का रूप देने का आग्रह करते हुए कहा कि यमुनोत्सव का उद्देश्य राजनीति से ऊपर उठकर हर नागरिक को जोड़ना है।

विधायक राज कुमार भाटिया ने यमुना की दुर्दशा के लिए समाज की उदासीनता को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अब समय है कि हम न सिर्फ आलोचना करें, बल्कि समाधान का हिस्सा बनें। पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सेहरावत ने अपने संबोधन में कहा कि यमुना के संरक्षण के लिए संसदीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जनता की जागरूकता और सक्रिय भागीदारी ही इस आंदोलन को सशक्त बना सकती है।
सांस्कृतिक झलक
प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित अभय सोपोरी का भावपूर्ण प्रस्तुति कार्यक्रम में विशेष आकर्षण रहा, जिसमें उन्होंने यमुना की पवित्रता, शांति और प्रवाह को सुरों के माध्यम से जीवंत कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने सभागार को आध्यात्मिक अनुभूति से भर दिया। इस अवसर पर दिल्ली के अनेक बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, छात्र-छात्राओं और संत भी उपस्थित रहे।