काशी में क्यों उठे मोरारी बापू की रामकथा पर सवाल? जानें क्या होता है सूतक जिसमें पूजा-पाठ पर रहती है रोक

काशी में क्यों उठे मोरारी बापू की रामकथा पर सवाल? जानें क्या होता है सूतक जिसमें पूजा-पाठ पर रहती है रोक

morari bapu

Morari Bapu Controversy: प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू की पत्नी नर्मदा बा का कुछ दिन पहले ही निधन हुआ हैं। पत्नी के निधन के 3 दिन बाद वो काशी पहुंचे और बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। इसके बाद रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 14 जून से 9 दिवसीय रामकथा शुरू कर दी। इसे लेकर बवाल हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि मोरारी बापू का पुतला तक दहन किया गया। काशी के धर्माचार्यों और संतों ने सूतक में ही पूजा-पाठ अनुष्ठान करने पर सवाल उठाए। मामला ख़राब होता देखकर मोरारी बापू ने माफ़ी मांग ली हालांकि राम कथा जारी रहेगी। इन सबके बीच आइये जानते हैं कि हिंदू धर्म में सूतक क्या होता है? सूतक के दौरान धार्मिक कार्य करने की रोक क्यों रहती है?

पहले जानिए पूरा मामला

मोरारी बापू की पत्नी का 11 जून को निधन हुआ। वो 14 जून को वाराणसी पहुंचे। बाबा विश्वनाथ के दर्शन किये, फिर राम कथा की शुरुआत की। अब इसे लेकर अखिल भारतीय संत समिति ने विरोध दर्ज कराया। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मोरारी बापू के इस आचरण को घोर निंदनीय बताया। इसके अलावा भी कई साधु-संतों ने उनकी आलोचना की। मोरारी बापू ने बाद में माफ़ी मांगी। उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए मानस क्षमा कथा भी कहूंगा लेकिन प्रभु की कथा नहीं रोकूंगा।

सूतक होता क्या है?

हिंदू धर्म में अगर किसी के घर में किसी की मौत हो जाए तो 13 दिनों तक सूतक माना जाता है। इसके अलावा किसी नवजात के जन्म पर भी सूतक माना जाता है। ग्रहण काल में भी लोग सूतक मानते हैं। सूतक के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित है। परिवार में किसी का जन्म हो या मृत्यु सूतक लग जाता है। ऐसे में परिवार का कोई भी सदस्य शुभ कामों में या पूजा पाठों में भाग नहीं ले सकता है। सूतक की गणना दाह संस्कार के दिन से की जाती है। 13 दिनों तक धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति अशुद्ध रहता है उसे मांगलिक कार्यों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

जानिए जन्म और मृत्यु सूतक के बारे में –

जन्म सूतक 10 दिनों का होता है। इस दौरान पूजा-पाठ करने की मनाही रहती है। मृत्यु सूतक 13 दिनों का रहता है। इस दौरान घर में पूजा-पाठ, उत्सव पर रोक लगी रहती है। खान-पान में भी नियमों का पालन करना पड़ता है। एक सूतक लगता है ग्रहण के समय। इसमें सूर्य ग्रहण में यह 12 घंटे पहले तो चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले शुरू होता है। ग्रहण के समय भगवान को नेगेटिव एनर्जी से बचाने के लिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। हिंदू धर्म के गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और अग्नि पुराण में सूतक का जिक्र किया गया है।

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