Israel-Iran: इजरायल और ईरान के बीच तनाव लगातार जारी है. एक तरफ जहां इजरायल ने ईरान पर हमला किया तो वहीं, ईरान भी उससे बदला लेने के लिए बौखलाया हुआ है. इसी बीच इजरायल ने ईरान की पारस गैस फील्ड फेज 14 की एक बड़ी रिफाइनरी पर ड्रोन अटैक कर दिया. जिससे रिफाइनरी में भयंकर आग लग गई. इतना ही नहीं, चारों ओर धुआं ही धुआं छा गया. दरअसल, ईरान की इस रिफाइनरी को बहुत अहम माना जाता है. यही वजह है कि आग लगने के बाद प्रोडक्शन को रोक दिया गया. अब इस हमले से स्थानीय सप्लाई चैन बाधित होने का खतरा भी बना हुआ है. हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब रिफाइनरी में आग लगी हो, इससे पहले कुवैत में भी आग लग चुकी है.
9 महीने तक बना रहा था तबाही का मंजर
बता दें कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल कुवैत में कभी सद्दाम हुसैन ने तेल के कुओं में आग लगवा दी थी. रिपोर्ट्स की मानें तो सद्दाम हुसैन ने कम से कम 600 तेल के कुओं को आग लगवाई थी. इस तबाही का मंजर का एक-दो नहीं बल्कि पूरे 9 महीने तक बना रहा था.
धुएं के आगे नहीं दिखाई देता था सूरज
बात साल 1991 की है, जब कुवैत का यह हाल हो गया था कि धुएं के आगे सूरज नहीं दिखाई देता था. लोगों की जिंदगी दुश्वार हो गई थी. 2 अगस्त 1990 को इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला कर दिया था.इसके बाद कुवैत के मुखिया सऊदी अरब भाग गए और राजधानी पर इराकी सेना का कब्जा हो गया था. सद्दाम हुसैन ने कुवैत को इराक का हिस्सा भी घोषित कर दिया था. उस वक्त अमेरिका को मौके की तलाश थी और वो ईरान का साथ दे रहा था. इतना ही नहीं युद्ध से उबरने के लिए ही इराक ने कुवैत पर हमला किया था.
पश्चिमी देशों ने चलाया था ऑपरेशन डेजर्ट
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने जब इराक के खिलाफ ऑपरेशन डेजर्ट स्टोर्म चलाया तो सद्दाम हुसैन की सेना को पीछे हटना पड़ा. हालांकि सद्दाम चुप नहीं बैठने वाले थे. उनके सैनिकों ने कुवैत में कम से कम 600 तेल के कुओं में आग लगा दी. कुओं से सैकड़ों फीट तक की आग की लपटें उठ रही थीं. इस आग को बुझाने के लिए दुनियाभर के देशों को एकजुट होना पड़ा था. इसके बाद भी आग बुझाने में 9 महीने का वक्त लग गया.
हर दिन जलता था 50 लाख बैरल तेल
बड़ी बात तो यह है कि तेल के कुओं में लगी आग की वजह से हर दिन लगभग 50 लाख बैरल तेल जलता था. कच्चे तेल की बड़ी-बड़ी झीलें बन गईं.अमेरिकी सेना को रोकने के लिए इराकी फौज ने तेल समंदर में डाल दिया और आग लगा दी. उन्होंने रिफाइनरी और ऑइल टर्मिनल को भी तबाह कर दिया. इस आग ने इतनी तबाही मचाई की कुवैत में 85 फीसदी इमारतें धुएं से काली हो गईं. बताया जाता है कि कुवैत इस युद्ध की पहली की स्थिति में आज भी नहीं लौट पाया है.