उत्तर प्रदेश

बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट गठन पर सुप्रीम कोर्ट की अस्थाई रोक, यूपी सरकार की योजना पर विराम

Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बांके बिहारी मंदिर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नए ट्रस्ट के गठन पर फिलहाल अस्थायी रोक लगा दी है। यह फैसला उस याचिका पर आया है, जो मंदिर के कई सेवायत पंडों ने दायर की थी। पंडों का कहना था कि 26 मई को यूपी सरकार ने मंदिर की देखरेख और प्रबंधन के लिए एक सरकारी ट्रस्ट बनाने का निर्णय लिया, जिससे मंदिर के पारंपरिक प्रबंधन अधिकार और धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता देखी

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि बांके बिहारी मंदिर का संचालन और परंपराएं सदियों से सेवायत पंडों द्वारा निभाई जा रही हैं, और सरकार द्वारा थोपे गए ट्रस्ट से न केवल उनकी परंपरागत भूमिका खत्म होगी, बल्कि मंदिर के धार्मिक मामलों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा। उनका यह भी कहना था कि इस तरह के निर्णय से मंदिर की मौलिक धार्मिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट को ट्रांसफर करने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट इस मामले में विस्तृत सुनवाई करके फैसला देगा। साथ ही, शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जब तक हाई कोर्ट इस पर अपना निर्णय नहीं सुनाता, तब तक यूपी सरकार द्वारा गठित नया ट्रस्ट प्रभाव में नहीं आएगा। इसका मतलब है कि फिलहाल बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन पहले की तरह ही पुराने ढांचे में चलता रहेगा।

आदेश के बाद निगाहें उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट पर टिकी

गौरतलब है कि 26 मई को योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर बांके बिहारी मंदिर की देखरेख के लिए एक विशेष ट्रस्ट बनाने का ऐलान किया था। सरकार का तर्क था कि इससे मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी, श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार होगा और भीड़ प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सकेगा। वहीं, सेवायत पंडों का आरोप है कि यह कदम उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और पारंपरिक अधिकारों का हनन है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट पर टिक गई हैं, जहां यह तय होगा कि सरकार का ट्रस्ट बनाने का निर्णय कायम रहेगा या रद्द होगा।

सबसे बड़ा सवाल

यह मामला न केवल बांके बिहारी मंदिर के भविष्य के प्रबंधन से जुड़ा है, बल्कि यह भी तय करेगा कि धार्मिक स्थलों के पारंपरिक अधिकारों और सरकारी हस्तक्षेप के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। यह विवाद एक बार फिर इस बहस को भी तेज कर रहा है कि धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में सुधार के नाम पर सरकार की भूमिका कितनी होनी चाहिए और किस हद तक धार्मिक परंपराओं को संरक्षित रखा जाना चाहिए।

यह भी पढ़े : Noida Police Encounter : फायरिंग करने वाला बदमाश हुआ ‘लंगड़ा’, कई जिलों में था वारदातों का मास्टरमाइंड

Jyoti Karki

ज्योति कार्की एक युवा पत्रकार हैं जो स्वास्थ्य, महिला और बाल कल्याण की खबरों में विशेषज्ञता रखती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मीडिया जगत में अपना कदम रखा है। ज्योति ने हिंदुस्तान, एनडीटीवी और इंडिया टीवी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों से इंटर्नशिप की है। इसके अतिरिक्त, नोएडा में लोकल रिपोर्टिंग का अनुभव प्राप्त करके उन्होंने जमीनी स्तर की पत्रकारिता की बारीकियों को समझा है।वर्तमान में ज्योति न्यूज इंडिया के साथ रिपोर्टर और कंटेंट क्रिएटर के रूप में कार्यरत हैं। शिक्षा के प्रति उनका जुनून निरंतर बना रहता है और वे डेवलपमेंट जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं। ज्योति डिजिटल मीडिया में भी सक्रिय हैं। वे पॉडकास्ट और वीडियो इंटरव्यू का निर्माण भी करती हैं।

Recent Posts

राहुल गांधी के डबल वोटिंग के आरोपों पर चुनाव आयोग सख्त, कर्नाटक CEO ने नोटिस भेज कहा- साबित करें…

Rahul Gandhi : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक में कथित डबल वोटिंग…

11 hours ago

ट्रंप की डेड इकोनॉमी वाली टिप्पणी पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया, भारत को बताया सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

India's economy : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत तेजी से विश्व…

11 hours ago

सबके बॉस तो हम हैं… भारत पर अमेरिका के टैरिफ को लेकर राजनाथ सिंह का डोनाल्ड ट्रंप पर कटाक्ष

Rajnath Singh on US tariffs : केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को भोपाल…

13 hours ago

अनुपम खेर हुए टॉयलेट साइन बोर्ड्स को लेकर कन्फ्यूज, इंस्टाग्राम वीडियो पर फैंस ने भी जताई सहमति

Anupam kher upcoming movie : बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर एक बार फिर सोशल…

14 hours ago