उत्तर प्रदेश

CBI को सुप्रीम कोर्ट का झटका : नोएडा के निठारी कांड में सुरेंद्र कोली की रिहाई के खिलाफ याचिका खारिज

Noida Nithari Murder Case : देश के सबसे चर्चित और भयावह अपराधों में से एक निठारी हत्याकांड (Nithari murder case) मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई सहित अन्य पक्षों की ओर से दायर अपील को दोबारा नकार दिया है।

दोनों आरोपियों का अपराध साबित करने में विफल

सुप्रीम कोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दायर सीबीआई की अपील को भी खारिज कर दिया है। बारह मामलों में कोली और दो मामलों में पंढेर को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को पलटते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर मामले के तय मानदंडों पर उचित संदेह से परे दोनों आरोपियों का अपराध साबित करने में विफल रहा है।

निठारी कांड का भयावह इतिहास

वर्ष 2005 से 2006 के दौरान नोएडा में हुए इस निठारी केस में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और साक्ष्य मिटाने के गंभीर मामलों में आरोपी बनाया था। वहीं मनिंदर सिंह पंढेर पर मानव तस्करी का भी आरोप लगाया गया था। दोनों आरोपियों ने अपनी फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपियों के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया था कि इन घटनाओं का कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं है और उन्हें केवल वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर यह कठोर सजा सुनाई गई है।

क्या थी घटना और कैसे हुआ खुलासा

7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने अपनी कोठी में बुलाया था। इसके पश्चात् युवती कभी वापस घर नहीं लौटी। चिंतित पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। पुलिस टीम ने तत्काल मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए बाद में निठारी कांड से जुड़े सभी मामले केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप कर दिए गए थे। यह मामला भारतीय न्यायिक इतिहास के सबसे चर्चित और जटिल मामलों में से एक बन गया था।

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Jyoti Karki

ज्योति कार्की एक युवा पत्रकार हैं जो स्वास्थ्य, महिला और बाल कल्याण की खबरों में विशेषज्ञता रखती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मीडिया जगत में अपना कदम रखा है। ज्योति ने हिंदुस्तान, एनडीटीवी और इंडिया टीवी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों से इंटर्नशिप की है। इसके अतिरिक्त, नोएडा में लोकल रिपोर्टिंग का अनुभव प्राप्त करके उन्होंने जमीनी स्तर की पत्रकारिता की बारीकियों को समझा है।वर्तमान में ज्योति न्यूज इंडिया के साथ रिपोर्टर और कंटेंट क्रिएटर के रूप में कार्यरत हैं। शिक्षा के प्रति उनका जुनून निरंतर बना रहता है और वे डेवलपमेंट जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं। ज्योति डिजिटल मीडिया में भी सक्रिय हैं। वे पॉडकास्ट और वीडियो इंटरव्यू का निर्माण भी करती हैं।

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