कानपुर : उत्तर प्रदेश में VIP कल्चर की एक और शर्मनाक मिसाल सामने आई है, जो आम आदमी और नेताओं के बीच भेदभाव की गहरी खाई को दर्शाती है। कानपुर के यमुना पुल पर शनिवार को एक हृदयविदारक घटना घटी, जब मां के शव को लेकर जा रहे दो भाइयों की एंबुलेंस को रोक दिया गया, लेकिन उसी समय एक विधायक की कार को बिना किसी रुकावट के पुल पार करा दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, थाना सुमेरपुर के टेढ़ा गांव निवासी मानसिंह उर्फ बिंदा यादव और जयसिंह के साथ जो कुछ हुआ, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आंखों में आंसू ला देता है। 65 वर्षीय शिवदेवी का मंगलवार को ई-रिक्शा पलटने से गंभीर दुर्घटना हुई थी और उनका कानपुर में इलाज चल रहा था। शनिवार तड़के जब उनकी मृत्यु हो गई, तो दोनों बेटे मां के शव को लेकर गांव जा रहे थे। सुबह साढ़े नौ बजे जब वे यमुना पुल पर पहुंचे, तो उनकी एंबुलेंस को रोक दिया गया। पुल पर बियरिंग बदलने का काम चल रहा है और तीन सप्ताह से हर शनिवार सुबह छह बजे से 48 घंटे के लिए यातायात बंद रहता है। लेकिन जब मानसिंह और जयसिंह ने अधिकारियों से गुजारने की विनती की, तो किसी ने उनकी नहीं सुनी।
मजबूरी में दोनों भाइयों को अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर 900 मीटर लंबा पुल पैदल पार करना पड़ा। एंबुलेंस ड्राइवर भी उनकी मदद कर रहा था। इस दौरान चार बार उन्हें शव को रखकर सुस्ताना पड़ा क्योंकि उनकी सांसें फूल गई थीं। तीनों लोग पसीने से तरबतर हो गए। सबसे दुखद बात यह है कि जब ये भाई अपनी मां के शव को लेकर पुल पार कर रहे थे, उसी समय एक विधायक की कार को बैरीकेड हटाकर आसानी से पुल से गुजारा गया। यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि हमारे समाज में कैसे VIP कल्चर ने मानवीयता को कुचल दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है। पिछले सप्ताह मुख्य सचिव डॉ. शन्मुगा सुंदरम् एमके का काफिला भी नो एंट्री के बावजूद पुल से गुजारा गया था, जबकि आम लोगों को कई किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ा था।पीएनसी प्रोजेक्ट मैनेजर एमपी वर्मा का बयान और भी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि विधायक की कार पुल बंद होने से कुछ देर पहले ही निकली थी, लेकिन यह सफाई संतोषजनक नहीं है। अगर पुल बंद है तो सभी के लिए बंद होना चाहिए, चाहे वो आम आदमी हो या विधायक।
यह घटना हमारी शासन व्यवस्था के चरित्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब एक बेटा अपनी मां के शव को लेकर जा रहा हो और उसे पैदल पुल पार करना पड़े, जबकि नेताओं के लिए रास्ता साफ किया जा रहा हो, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है। मानसिंह जो सूरत से अपनी मां की देखभाल के लिए आया था, उसे इस कष्टकारी स्थिति का सामना करना पड़ा। यह घटना वायरल होने के बाद जनता में गुस्सा स्वाभाविक है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या VIP कल्चर इंसानियत से भी ऊपर है?
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