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अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक का बड़ा कबूलनामा, कहा-भारत-रूस की दोस्ती से अमेरिका को है दिक्कत…

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक का बड़ा कबूलनामा, कहा-भारत-रूस की दोस्ती से अमेरिका को है दिक्कत…

India-Russia friendship : अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों को लेकर अब ट्रंप प्रशासन की ओर से आई नई टिप्पणी ने इन संबंधों को और पेचीदा बना दिया है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को रूसी हथियारों की खरीद और ब्रिक्स समूह में उसकी सक्रिय भूमिका को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी है. यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए लुटनिक ने कहा कि यह अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है…यह वास्तव में अमेरिका में दोस्त बनाने का तरीका नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की कुछ नीतियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका को बुरी तरह से परेशान करती हैं और राष्ट्रपति ट्रंप इन मुद्दों को सीधे उठाते हैं.

भारत की विदेश नीति पर अमेरिका बना रहा दबाव ?

लुटनिक की या तो हमारे साथ या हमारे खिलाफ जैसी भाषा ने भारत के पारंपरिक गुटनिरपेक्ष रुख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान इस ओर इशारा करता है कि वाशिंगटन चाहता है कि नई दिल्ली अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को छोड़कर अमेरिका के साथ पूर्ण रूप से संरेखित हो.

पूर्व विदेश सचिव और राजनयिक कंवल सिब्बल ने लुटनिक की टिप्पणी पर आलोचना करते हुए कहा कि अगर भारत को अमेरिका से मित्रता करनी है, तो क्या उसकी कीमत यह है कि वह रूस के साथ अपने दशकों पुराने रक्षा संबंध खत्म कर दे और ब्रिक्स जैसे मंचों से बाहर हो जाए? उन्होंने कहा कि लुटनिक को भू-राजनीति की गहरी समझ नहीं है और भारत-अमेरिका संबंधों का इतिहास भी उन्होंने ठीक से नहीं समझा है.

‘भारत का प्रशंसक हूं’ पर शर्तों के साथ : हॉवर्ड लुटनिक

गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन के अरबपति सदस्यों में से एक हॉवर्ड लुटनिक कूटनीति में अनुभव नहीं रखते. उन्होंने अपनी टिप्पणियों में भारत और भारतीय-अमेरिकियों के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों का भी उल्लेख किया. उन्होंने गूगल के पूर्व कार्यकारी और पालो ऑल्टो नेटवर्क के सीईओ निकेश अरोड़ा के साथ अपनी दोस्ती का हवाला देते हुए कहा कि जब मैं भारत जाता था, हम घर की पार्टियों में जाते थे, क्रिकेट खेलते थे… मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. हालाँकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह चाहते हैं कि भारत अमेरिका के साथ पूरी तरह से संरेखित हो. जिसका सीधा मतलब है कि भारत चीन और रूस जैसे देशों से दूरी बनाए और ब्रिक्स जैसे संगठनों से बाहर हो.

ट्रंप की भारत नीति में बदलाव

ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ मधुर संबंध बनाए थे, लेकिन दूसरे कार्यकाल में टैरिफ, ब्रिक्स, और डॉलर के प्रभुत्व जैसे मुद्दों को लेकर असहमति बढ़ती गई है. ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में उन्होंने भूमिका निभाई, लेकिन नई दिल्ली ने इस दावे को खारिज कर दिया. वहीं सोशल मीडिया पर भी लुटनिक के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया आई हैं.  

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