Ghaziabad : गाजियाबाद में प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की श्री राम कथा को लेकर विवाद गहरा गया है। 14 जून से 22 जून तक सागर के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस कथा का नाम ‘मानस सिंदूर’ रखा गया था, जो मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित है। लेकिन, मोरारी बापू के सूतक काल में कथा शुरू करने के फैसले ने काशी के संतों और धार्मिक संगठनों को नाराज कर दिया है। जिसके बाद उनका जमकर देशभर में विरोध हो रहा है।
क्या बोले गाजियाबाद के संत
11 जून 2025 को मोरारी बापू की पत्नी नर्मदा बेन के निधन के बाद बापू सूतक काल में थे। इसके बावजूद, उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए और रामकथा शुरू की। काशी के संतों और अखिल भारतीय संत समिति ने इसे शास्त्र विरुद्ध बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि सूतक काल में धार्मिक आयोजन शास्त्रों के खिलाफ है और यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। न्यूज़ इंडिया गाजियाबाद संवाददाता ऋषभ भारद्वाज ने गाजियाबाद के संत समाज के लोगों से खास बातचीत की प्राचीन सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित पवन मिश्रा का कहना है “शास्त्रों में स्पष्ट है कि सूतक काल में कोई धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए। मोरारी बापू का यह कदम गलत है और हम इसका विरोध करते हैं।”
मुरारी बापू के कदम को बताया गलत
वहीं, प्राचीन मंदिर गोपीनाथ मंदिर के पंडित ज्योतिषाचार्य गौरव भारद्वाज ने भी मुरारी बापू के इस कदम को गलत बताया उन्होंने कहा कि गरुड़ पुराण में भी लिखा हुआ है कि सूतक में कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते, यह विवाद कितना और तूल पकड़ेगा, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या धार्मिक परंपराओं और आधुनिक सोच के बीच संतुलन बनाया जा सकता है
ऋषभ भारद्वाज गाजियाबाद