News India 24x7
  • होम
  • अध्यात्म
  • पुरी रथ यात्रा: 58 दिनों की साधना के बाद 200 कारीगर बनाते हैं रथ, कल से शुरू होगी यात्रा, जानें बाद की रस्में

पुरी रथ यात्रा: 58 दिनों की साधना के बाद 200 कारीगर बनाते हैं रथ, कल से शुरू होगी यात्रा, जानें बाद की रस्में

rath yatra
inkhbar News
  • Last Updated: June 26, 2025 08:35:19 IST

Rath Yatra: ओडिशा के पुरी में कल यानी शुक्रवार, 27 जून से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो रही है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ बनकर तैयार हो गए हैं। हर वर्ष इनके लिए 3 रथ बनाए जाते हैं, जो 45 फीट ऊंचा होता है। इसे बनाने में 200 कारीगर लगे होते हैं जो 58 दिनों में इसे तैयार करते हैं। आइए जानते हैं रथ यात्रा की पूरी कहानी। यह कैसे बनती है और यात्रा के बाद इन रथों का क्या किया जाता है–

5 तरह की लकड़ियों का प्रयोग

रथ बनाने में 5 तरह की खास लकड़ियों का प्रयोग होता है। इसे पूरी तरह हाथों से बनाते हैं। लकड़ियों को मापने के लिए किसी स्केल का उपयोग नहीं करके एक छड़ी से ही 45 फीट ऊंची माप ले लेते हैं। इसका वजन 200 टन से अधिक होता है। हर साल नए रथ बनाए जाते हैं, जिसकी शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन से शुरू हो जाती है। गुंडीचा यात्रा के दो दिन पहले इसे तैयार कर लिया जाता है। पुरी रथ यात्रा खत्म होने के बाद इसे तोड़ दिया जाता है।

[adinserter block="13"]

लगे होते हैं इतने पहिए

भगवान जगन्नाथ के लिए बने रथ को नंदीघोष या गरुड़ध्वज कहा जाता है। बलराम के रथ को तालध्वज और सुभद्रा के रथ को दर्पदलन पद्म नाम दिया गया है। सभी रातों की ऊंचाई और इनमें पहियों की संख्या अलग अलग होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16, बलभद्र के रथ में 14 और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं। कुल 42 पहिए होते हैं, जो बेहद मजबूती से बने होते हैं।

यात्रा के बाद रथों का क्या होता है?

भगवान जगन्नाथ के रथ का एक हिस्सा आप भी ले सकते हैं क्योंकि इसके कुछ हिस्सों की यात्रा के बाद नीलामी होती है। भगवान जगन्नाथ के ऑफिशियल वेबसाइट पर रथ के नीलामी से जुड़ी जानकारी आपको मिल जाएगी। पहिए की शुरुआती कीमत 50 हजार रुपए है। इसे खरीदने के लिए आपको आवेदन करना पड़ेगा। इसमें जो लकड़ियां होती है, उसका इस्तेमाल मंदिर में किया जाता है। इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में भी दिया जाता है। बची हुई लकड़ियों को महा रसोई में भेज दिया जाता है। इससे देवताओं के लिए महाप्रसाद बनाया जाता है।

Tags

Rath Yatra