दिल्ली BJP के 100 दिन पूरे, जानें कैसा है रेखा सरकार का रिपोर्ट कार्ड ?

नई दिल्ली:दिल्ली की सत्ता में तीन दशक (100 Days Of Rekha Government) बाद वापसी कर चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के 100 दिन 30 मई को पूरा होने जा रहा. इस अवसर पर राजधानी में अपने 100 दिन पूरे करने पर कल यानी 30 मई को भाजपा “100 दिन की उपलब्धियों” के नाम पर रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी. दिलचस्प यह है कि इसी दौरान विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी (AAP) भी एक अलग रिपोर्ट कार्ड जारी करने जा रही है. रिपोर्ट कार्ड के इस राजनीति में एक सफलता का दावा करेगा तो दूसरी में विफलताओं की गिनती.

उससे पहले चलिए जानते है भाजपा ने विधानसभा चुनाव में दिल्ली के लिए कौन-कौन से वादे किए थे, इन 100 दिनों में कौन-से वादे पूरे किए ,कौन-से अधूरे हैं और  रेखा सरकार को कहां कहां अब तक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

विधानसभा चुनाव में दिल्ली के लिए भाजपा का वादा

भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ बड़े वादे किए थे, जिनमें प्रमुखता से शामिल थे:

  • गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपये की आर्थिक मदद
  • 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज
  • अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों को मालिकाना हक
  • गिग वर्कर्स और टेक्सटाइल वर्कर को 10 लाख का जीवन बीमा
  • प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को 15,000 रुपये सहायता
  • SC/ST छात्रों को प्रतिमाह 1,000 रुपये का स्टाइपेंड
  • महिलाओं को 2,500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता
  • यमुना की सफाई तय समय सीमा में
  • ‘अटल कैंटीन’ में 5 रुपये में पौष्टिक भोजन
  • गरीब महिलाओं को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर

100 दिनों में क्या हुआ, क्या नहीं?

सत्ता में आते हुए रेखा सरकार (cm rekha gupta) ने  केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत योजना’ को लागू किया. इससे दिल्ली में 6 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके तहत केंद्र 5 लाख रुपये तक का बीमा देगा और फिर राज्य सरकार टॉप-अप के रूप में अतिरिक्त 5 लाख रुपये देगी. तो वहीं भाजपा ने गरीब महिलाओं को प्रतिमाह 2,500 रुपये देने का वादा किया था. इस योजना को कैबिनेट से मंजूरी तो मिल गई, बजट भी तय हो गया, लेकिन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो पाई है. सरकार की ओर से कोई स्पष्ट डेडलाइन भी नहीं दी गई है. राजधानी में ‘Delhi Electric Vehicle Interconnector (DEVI)’ योजना के तहत छोटी 9 मीटर वाली बसें उन इलाकों में चलाई गईं जहां बड़ी बसें नहीं पहुंच पाती. सरकार का लक्ष्य साल के अंत तक 2,000 ई-बसे सड़कों पर लाना है.

यमुना की सफाई के लिए सरकार ने तीन साल का लक्ष्य रखा है. 100 दिनों में अब तक सिर्फ योजना और बैठकों का दौर चला है. मार्च में 1,500 करोड़ रुपये का बजट जारी हुआ और 40 डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की योजना बनी लेकिन जमीनी काम की शुरुआत नहीं हुई. इसके साथ साथ  गरीबों को 5 रुपये में भरपेट भोजन देने के लिए अटल कैंटीन खोलने का वादा किया गया था. योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है, मगर अब तक एक भी कैंटीन नहीं खुली है.

टेक्सटाइल और गिग वर्कर्स के लिए 10 लाख के जीवन बीमा का कोई जिक्र नहीं हुआ. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए वादा किया गया 15,000 रुपये की सहायता या SC/ST स्टाइपेंड योजना भी ठंडे बस्ते में है. सरकार ने 250 करोड़ रुपये का प्रावधान तो किया है, लेकिन लाभार्थियों को कोई लाभ नहीं मिला. होली पर महिलाओं को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया था. अब उम्मीद दिवाली पर टिकी है. सूत्रों के मुताबिक, कुछ औपचारिकताएं पूरी न होने के कारण योजना लागू नहीं हो पाई है. दिल्ली में 1,700 अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने का वादा किया गया था. लेकिन 100 दिनों में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. सरकार सिर्फ इसे लेकर चर्चा कर रही है.

डबल इंजन सरकार फेल ?

भाजपा ने चुनाव के दौरान ‘डबल इंजन सरकार’ का वादा किया था. यानी केंद्र और राज्य के तालमेल से काम की रफ्तार. लेकिन शुरुआती 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड बताता है कि केंद्र की योजनाओं को लागू करने में तो कुछ हद तक सफलता मिली है, लेकिन राज्य सरकार के खुद के वादे या तो अधूरे हैं या कागजों तक सीमित हैं. हालांकि 100 दिन का कार्यकाल कोई लंबा समय नहीं होता, लेकिन यह संकेत देने के लिए काफी है कि सरकार किस दिशा में बढ़ रही है. रेखा गुप्ता सरकार ने आयुष्मान योजना जैसे कुछ क्षेत्रों में ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन बाकी चुनावी वादों की स्थिति अभी घोषणाओं और योजना स्तर से आगे नहीं बढ़ पाई है. अब देखने वाली बात यह होगी कि अगले 100 दिनों में सरकार कितने वादों को जमीन पर उतार पाती है.

Gautam Jha

बिहार का रहने वाला हूं...प्रिंट से पत्रकारिता की शुरुआत हुई... फिलहाल डिजिटल में सक्रिय हूं. जर्नलिज्म की डिग्री मिल चुकी है मगर सीखने का क्रम अभी जारी है. दैनिक भास्कर से लिखने और बोलने की शुरुआत हुई और बीते करीब 1 साल से  News India 24x7 के साथ यह सिलसिला जारी है. राजनीति, इतिहास, साहित्य, संगीत, खेल और लोक संस्कृति के साथ साथ मनोरंजन में दिलचस्पी है.. इसके साथ किताब कोई भी हो पढ़ने में खूब मजा आता है. जो समझता हूं और सीखता हूं उसे यहां  परोसने का काम करता हूं...तो पढ़िए मेरी लेखनी और सोशल मीडिया पर मुझसे जुड़कर अपने सुझाव भेजिए ताकी खुद की कमियों को सुधार सकूं... 

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