Noida News : नोएडा में लिफ्ट एक्ट को लेकर जिला प्रशासन सख्त रुख अपनाने लगा है। इसी कड़ी में जिला प्रशासन ने सेक्टर-82 स्थित केंद्रीय विहार सोसायटी पर लाखों का जुर्माना लगाया है। बताया जा रहा है कि इस सोसाइटी की लिफ्टों का पंजीकरण नहीं हुआ था। कई बार नोटिस देने के बाद भी बिना पंजीकरण के ही लिफ्ट चल रही थी। जानकारी के मुताबिक, जिले में और भी सोसाइटी हैं जिनका पंजिकरण नहीं हुआ है। उन पर भी जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन ने लिफ्टों का पंजीकरण न कराने पर सेक्टर-82 स्थित केंद्रीय विहार सोसायटी पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और उसे लिफ्ट पंजीकरण शुल्क के रूप में 6 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। यूपी लिफ्ट अधिनियम का उल्लंघन करने वाली सोसायटियों पर कार्रवाई के तहत पिछले सप्ताह सोसायटी के अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) को कुल 18 लाख रुपये का नोटिस जारी किया गया था। विद्युत सुरक्षा के सहायक निदेशक रमेश चौधरी के अनुसार, जिले भर में 30 अन्य सोसायटियों की पहचान की गई है, जहां अभी तक लिफ्टों का पंजीकरण नहीं हुआ है। इन सोसायटियों को भी जल्द ही जुर्माने के साथ नोटिस जारी किए जाएंगे। सोसायटी को जुर्माना और शुल्क का भुगतान करके पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
इस बीच, केंद्रीय विहार-2 के एओए ने कहा कि उन्होंने नोटिस का जवाब दिया है और स्पष्ट किया है कि वे सोसायटी में लिफ्टों को बदलने की प्रक्रिया में हैं। सोसायटी में 120 लिफ्ट हैं जो 15 साल से भी पुरानी हैं। लिफ्ट अधिनियम लागू होने से पहले ही हमने सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए सभी लिफ्टों को बदलने के लिए एक एजेंसी को काम पर रखा था। सोसायटी को भेजा गया नोटिस पूरी तरह से गलत था क्योंकि उन्होंने पहले ही अधिनियम के तहत 47 नई लिफ्टों को पंजीकृत कर लिया है जबकि 15 और का पंजीकरण चल रहा है। बाकी लिफ्टों को एजेंसी द्वारा एक-एक करके बदला जा रहा है। एओए के सचिव रमेश शर्मा ने कहना है कि लिफ्ट अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि सितंबर 2024 में लागू उत्तर प्रदेश लिफ्ट अधिनियम के अनुसार आवासीय और व्यावसायिक भवनों में सभी लिफ्टों को सुरक्षा जांच और विनियामक अनुपालन के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि बार-बार समय सीमा तय किए जाने के बावजूद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगभग 80,000 लिफ्टों में से केवल 8,000 लिफ्टों का ही पंजीकरण किया गया है। नियमों के अनुसार, यदि लिफ्ट के पंजीकरण में सात दिन या उससे कम की देरी होती है, तो 100 रुपये, सात दिन से अधिक और 15 दिन तक 200 रुपये, 15 दिन से अधिक और 30 दिन तक होती है, तो 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लेट होने का शुल्क लिया जाएगा। अगर देरी 30 दिन से ज्यादा होती है, तो लिफ्ट या एस्केलेटर का संचालन तुरंत बंद कर दिया जाएगा। साथ में 10,000 रुपये जुर्माना लिया जाएगा।
यूपी में लिफ्टों और एस्केलेटरों की स्थापना, रखरखाव और सुरक्षित संचालन को फरवरी 2024 में लिफ्ट अधिनियम पारित किया गया था। पिछले साल 29 अक्टूबर में नोएडा जिला प्रशासन ने निर्देश दिए थे कि बिल्डिंग के मालिकों और आरडब्ल्यूए को 2 सितंबर से छह महीने के अंदर अपने सोसायटी परिसर में सभी लिफ्टों का पंजीकरण कराना होगा। लिफ्ट के पंजीकरण के लिए 5,000 रुपये का शुल्क देना होगा। लिफ्ट बनाने वाली कंपनी के लिए पंजीकरण शुल्क 25,000 रुपये है, जो पांच साल के लिए है, जबकि लिफ्ट रखरखाव एजेंसियों को सालाना 25,000 रुपये का पंजीकरण कराना होगा। यह एक्ट शहर में हो रहे हादसों को रोकने के लिए शुरू किया गया था।