नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एक अहम राजनीतिक कदम उठाया है। उन्होंने राज्य में अगड़ी जातियों के विकास के लिए “उच्च जाति आयोग” के गठन की घोषणा की है। इस आयोग का कार्यकाल तीन साल का होगा। इसके अध्यक्ष बीजेपी नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह होंगे, जबकि उपाध्यक्ष के रूप में जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन को नियुक्त किया गया है।
पहले हो चुका है सवर्ण आयोग का गठन
गौरतलब है कि बिहार में पहले भी सवर्ण आयोग का गठन हुआ था, लेकिन नीतीश कुमार ने अब इसका पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इसी साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
केंद्र सरकार करवाएगी जाति जनगणना
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है हालांकि उससे पहले ही बिहार में जाति जनगणना हो चुकी है और अब सरकार ने अगड़ी जातियों के विकास के लिए आयोग का गठन कर दिया है. लिहाजा देखना होगा कि यह आयोग जाति जनगणना के आंकड़े पर अगड़ी जातियों के लिए क्या करता है.
जातीय समीकरणों का अहम रोल
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों का हमेशा से अहम रोल रहा है। विकास की बातों के बीच जातीय राजनीति की धार कभी कमजोर नहीं पड़ी। ऐसे में यह आयोग बिहार की चुनावी राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। विकास की तस्वीर चाहे धुंधली हो, लेकिन जातीय राजनीति के समीकरण (election) फिर से तेज हो गए हैं।