काशी के लोगों से मोरारी बापू ने मांगी माफी, बोले बुरा लगा हो तो क्षमा करना, करता रहूंगा राम कथा

काशी के लोगों से मोरारी बापू ने मांगी माफी, बोले बुरा लगा हो तो क्षमा करना, करता रहूंगा राम कथा

morari bapu

Morari Bapu in Kashi: प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने काशी में बवाल बढ़ने पर माफ़ी मांगी ली है। उन्होंने कथा के दूसरे दिन कहा कि मैंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। कथा कर रहा हूं तो, जिसको बुरा लगा उनसे क्षमा मांगता हूं। मैं मानस क्षमा कथा भी कहूंगा। प्रभु राम की कथा कह रहा हूं और आगे भी कहता रहूंगा। इसके लिए ही यहां आया हूं। दरअसल मोरारी बापू अपनी पत्नी के निधन के दो दिन बाद ही काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंच गए थे। वो सिगरा के कन्वेंशन सेंटर में कथा कह रहे हैं।

मोरारी बापू का कार्य घोर निंदनीय

काशी में मोरारी बापू का शंकराचार्य, संत समाज, तीर्थ पुरोहित समेत वैष्णव संतों ने विरोध किया था। भड़के लोगों ने गोदौलिया चौराहा पर मोरारी बापू का पुतला दहन किया। इस मामले को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने घोर निंदनीय बताया। उनका कहना है कि मोरारी बापू को सूतक काल में कथा नहीं करनी चाहिए। धर्म से ऊपर उठकर वो अर्थ की कामना का कृत्य कर रहे, जो सरासर गलत है।

पाखंड फैला रहे मोरारी बापू

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मोरारी बापू पर पाखंड फैलाने का आरोप लगाया। धर्मशास्त्रों के मुताबिक राजा, योगी, यति और ब्रह्मचारी पर सूतक लगता है लेकिन मोरारी बापू तो गृहस्थ थे। ऐसे में कथा करके वो काशी में विनाश को निमंत्रण दे रहे हैं। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाया कि मोरारी बापू बताएं कि कौन से वैष्णव ग्रंथ में ऐसा लिखा हुआ है कि पत्नी के निधन के बाद पति पर सूतक नहीं लगेगा?

सनातन में 7 पीढ़ी तक सूतक

विशेश्वर शास्त्री द्राविड़ का कहना है कि धर्मसिंधु के अनुसार सात पीढ़ी तक सूतक लगता है। इसका वैष्णव, शैव और शाक्त से कोई संबंध नहीं है। उन्हें 16 दिनों तक सूतक की विधियों का पालन करना चाहिए था। सूतक में उन्होंने काशी विश्वनाथ में प्रवेश कैसे कर लिया। बता दें कि 14 जून से 22 जून तक कथा होना तय हुआ था। मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित होकर आयोजकों ने इसका नाम ‘मानस सिंदूर’ दिया है।

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