एक लाख करोड़ का घाटा, 1500 यात्रियों की मौत… आसमान की क्वीन रही बोइंग कैसे बनी खौफ का दूसरा नाम

एक लाख करोड़ का घाटा, 1500 यात्रियों की मौत… आसमान की क्वीन रही बोइंग कैसे बनी खौफ का दूसरा नाम

Boeing plane

नई दिल्ली। 100 साल से ज्यादा वक्त तक दुनिया की सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद विमान निर्माता कंपनी रही बोइंग अब खौफ का दूसरा नाम बन गई है। 12 जून को अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश में 241 यात्रियों की मौत ने बोइंग की गिरती साख पर और बट्टा लगा दिया।

पहले से ही घाटे में चल रही बोइंग अब एक के बाद एक मुश्किल में घिरती जा रही है। चलिए जानते हैं कि एविएशन इंडस्ट्री में राज करने वाली बोइंग का डाउनफॉल कैसे शुरू हुआ…

1916 में बनी कंपनी ने किया एकछत्र राज

अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले विलियम बोइंग ने 1916 में अपने दोस्त जॉर्ज वेस्टरवेल्ट के साथ मिलकर लकड़ी, वायर और लिनन से बी एंड डब्ल्यू प्लेन बनाया। इस विमान में तीन लोगों के बैठने की सीट थी।

इसी साल विलियम ने पैसिफिक ऐरो प्रोडक्ट नाम से कंपनी बनाई, जिसका नाम उन्होंने अगले साल बदलकर बोइंग एयरप्लेन कंपनी कर दिया। इसके बाद पहले विश्व युद्ध के दौरान बोइंग को अमेरिका की मिलिट्री से बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला।

विश्व युद्ध खत्म होने के बाद बोइंग ने कॉमर्शियल शी प्लेन बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद कंपनी ने ऐसी उड़ान भरी कि वो कुछ ही सालों में एविएशन इंडस्ट्री की सबसे बड़ी खिलाड़ी बन गई। 20वीं सदी के खत्म होते-होते बोइंग ने अपने सबसे बड़े विमान 747 को लॉन्च कर दिया। इस विमान में एक साथ 440 लोग सवार हो सकते थे।

पूरी दुनिया में यह कहावत चल पड़ी कि ‘If its not boeing, I am not going’ यानी अगर विमान बोइंग कंपनी का नहीं है तो फिर मैं यात्रा नहीं करूंगा। इस बीच बोइंग से एक बड़ी गलती हो गई। एक ऐसी गलती जिसने न सिर्फ बोइंग की छवि धूमिल की, बल्कि उसे घाटे में भी डाल दिया।

और फिर शुरू हुआ डॉउनफॉल…

1997 में बोइंग ने मैकडॉनस डगलस कंपनी को खरीदने का फैसला किया और यही फैसला उसके डाउनफॉल की वजह बन गया। बोइंग जहां अपनी शानदार क्वालिटी और सुरक्षा के लिए जाना जाता था, वहीं मैकडॉनस की छवि एक प्रॉफिट मेकर कंपनी की थी।

इस बीच एविएशन इंडस्ट्री में बोइंग को यूरोप की कंपनी एयरबस से चुनौती मिलने लगी। ऐसे में बोइंग ने जल्दबाजी में विमान बनाना शुरू कर दिया और सुरक्षा पर ध्यान देना कम कर दिया। धीरे-धीरे बोइंग के जल्दबाजी में तैयार किए गए विमानों ने पुराने प्लेन्स को रिप्लेस कर दिया और फिर शुरू हुआ हादसों का ऐसा सिलसिला जो अभी तक जारी है…

पिछले एक दशक में प्लेन हादसे से 2,996 लोगों की जान गई है, जिसमें 1,497 मौतें बोइंग विमान के क्रैश होने से हुई हैं। भारत की बात करें तो हमारे यहां पिछले 10 साल में 2 बड़े जानलेवा प्लेन क्रैश हुए हैं और दोनों ही विमान बोइंग के बनाए हुए थे। बोइंग कंपनी अब हवाई यात्रा में खौफ का दूसरा नाम बन गई है और इसकी वजह से वो लगातार घाटा झेल रही है। पिछले साल यानी 2024 में बोइंग ने 1 लाख करोड़ का घाटा झेला है।

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