Supreme Court will hold final hearing in Bihar SIR dispute case on August 12-13
Supreme Court on Bihar SIR : बिहार में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision ) प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर अब 12 और 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के लिए समयसीमा तय करते हुए निर्वाचन आयोग और याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी-अपनी लिखित दलीलें 8 अगस्त तक दाखिल करें।
बिहार में निर्वाचन आयोग ने 24 जून 2025 को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया शुरू की थी। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना है। आयोग के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में गहन पुनरीक्षण नहीं हुआ था और जनसांख्यिकीय बदलाव, शहरी पलायन जैसे कारकों के कारण यह प्रक्रिया आवश्यक हो गई थी।
हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कई संवैधानिक और कानूनी सवाल उठे हैं। प्रमुख याचिकाकर्ता संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल व प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि SIR की प्रक्रिया में 65 लाख से अधिक मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा रहा है, जिससे उनका संवैधानिक अधिकार वोट देने का अधिकार छिन सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन है। साथ ही यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के निर्धारित प्रावधानों से भी हटकर है। कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि मसौदा सूची 1 अगस्त को प्रकाशित होनी थी,लेकिन पहले से ही कई वैध मतदाताओं को इससे अनुचित रूप से हटा दिया गया है।
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सुनवाई के दौरान पीठ ने निर्वाचन आयोग को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आयोग अधिसूचना से ज़रा भी विचलित होता है, तो हम हस्तक्षेप करेंगे। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है, उसे कानून का पालन करना ही होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से 15 ऐसे नाम प्रस्तुत करने को कहा जिनके बारे में दावा है कि वे मृत घोषित कर दिए गए हैं,लेकिन वे वास्तव में जीवित हैं।
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने पक्ष रखते हुए कहा कि आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 21(3) के तहत ऐसा करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि SIR का उद्देश्य सूची को साफ-सुथरा और अद्यतन बनाना है। द्विवेदी ने यह भी कहा कि अभी 65 लाख लोगों के बाहर होने की संख्या अंतिम नहीं है। आपत्तियों के निपटारे के बाद ही वास्तविक संख्या सामने आएगी। आयोग ने 15 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची जारी करने की उम्मीद जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को प्रामाणिक दस्तावेज मानने की बात दोहराई। कोर्ट ने कहा कि हालांकि राशन कार्ड में जालसाजी संभव है, लेकिन आधार और वोटर ID की एक निश्चित विश्वसनीयता है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा कि वह इन दस्तावेजों को मान्य दस्तावेजों की सूची में बनाए रखे। अब मामले में 12 और 13 अगस्त को मामले की पहली चरण की सुनवाई होगी। और फिर दूसरी चरण की सुनवाई सितंबर में हो सकती है, जब अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित हो जाएगी।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट नेहा राठी को नोडल वकील नियुक्त किया है और उन्हें 8 अगस्त तक पूरी याचिका और सभी दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने को कहा गया है।
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