चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की याचिका की खारिज, महाराष्ट्र चुनाव से है कनेक्शन

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की याचिका की खारिज, महाराष्ट्र चुनाव से है कनेक्शन

Rahul Gandhi

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव आयोग से एक बड़ा झटका लगा है। आयोग ने कांग्रेस नेता की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने पोलिंग स्टेशनों के वेबकास्टिंग फुटेज को सार्जनिक करने की मांग की थी। चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि यह मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए खतरा है।

मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन

चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, ऐसी मांगें भले ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा का दावा करें, लेकिन उनका मकसद इसके विपरीत है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950-1951 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यह मांग मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। इतना ही नहीं आयोग की तरफ से कहा गया है कि फुटेज साझा करने से मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है, जिससे कि वोट देने या न देने वाले लोग दबाव, भेदभाव या धमकी का शिकार हो सकते हैं। बकायदा उदाहरण देते हुए अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि अगर किसी बूथ में किसी पार्टी को कम वोट मिले हैं, तो वह सीसीटीवी फुटेज के जरिए मतदाताओं की पहचान कर उन्हें निशाना बना सकती है।

‘…तो नष्ट नहीं कराया जाता फुटेज’

वहीं, चुनाव आयोग 45 दिनों तक फुटेज रखता है, जो सिर्फ आंतरिक इस्तेमाल के लिए है और चुनाव याचिका दायर करने की अवधि के तहत है। चुनाव आयोग ने चेतावनी देते हुए कहा कि 45 दिनों से ज्यादा समय तक फुटेज रखने से इसका दुरुपयोग हो सकता है, जैसे गलत सूचना फैलाने के लिए। अगर इस अवधि में याचिका दायर होती है, तो फुटेज नष्ट नहीं किया जाता और अदालत को उपलब्ध कराया जाता है। मतदाता गोपनीयता को अटल मानते हुए आयोग ने कभी भी इस सिद्धांत से समझौता नहीं किया, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समर्थन किया है।

चुनाव आयोग ने राज्यों को दिए निर्देश

दरअसल, साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शाम 5 बजे के बाद के फुटेज जारी करने की विपक्षी दलों ने मांग की थी. जिसके बाद चुनाव आयोग की तरफ से ये बयान दिया गया है। यही नहीं, दिसंबर 2024 में सरकार ने चुनाव नियम 93 में संशोधन कर CCTV और वेबकास्टिंग फुटेज को सार्वजनिक निरीक्षण से प्रतिबंधित कर दिया था। जिसको लेकर चुनाव आयोग ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि अगर 45 दिनों में नतीजे को चुनौती नहीं दी जाती है, तो फुटेज नष्ट कर दिया जाए। साथ ही आयोग की तरफ से कहा गया है कि रिकॉर्डिंग अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह आंतरिक प्रबंधन का हिस्सा है। सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के लिए फुटेज का इस्तेमाल हो सकता। इस स्थिति ने समीक्षा को जरूरी बना दिया है। आयोग ने साफ किया कि मतदाता गोपनीयता और सुरक्षा सर्वोपरि है।

राहुल गांधी के लिए झटका

ऐसे में चुनाव आयोग के अधिकारियों की यह टिप्पणी राहुल गांधी के लिए झटका मानी जा रही है। हाल ही में उन्होंने चुनाव आयोग पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पारदर्शिता की मांग की थी। उन्होंने आयोग से सभी राज्यों के हालिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों की डिजिटल, मशीन-पठनीय मतदाता सूची और महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों से शाम 5 बजे के बाद की CCTV फुटेज जारी करने को कहा। राहुल गांधी ने दावा किया कि मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया और मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जिसे उन्होंने मैच फिक्सिंग करार दिया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए जहर है और आयोग की विश्वसनीयता के लिए सच बोलना जरूरी है।

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