Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच जंग छिड़े 6 दिन हो गए हैं। इस बीच अटकलें हैं कि ईरान और उसके परमाणु प्रतिष्ठानों के खिलाफ अमेरिका भी इजरायल का साथ दे सकता है। हालांकि, जंग में संभावित भागीदारी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकारों के बीच सहमति नहीं बन पायी है। अगर ऐसा होता है तो यह युद्ध विकराल रूप ले सकता है क्योंकि ईरान की मदद करने के लिए चीन भी तैयार है।
मालवाहक विमान ने भरी उड़ान
ऐसे में खबर है कि शुक्रवार को जैसे ही इजरायल ने ईरान पर हमला बोला, उसके अगले ही दिन चीन से एक मालवाहक विमान ने उड़ान भरी। जिसके अगले दिन, एक और कार्गो प्लेन ने तटीय शहर से उड़ान भरी और सोमवार को फिर एक और कार्गो विमान चीन से ईरान के लिए रवाना हुआ। मतलब तीन दिनों में 3 मालवाहक विमानों ने उड़ान भरी और रहस्यमय तरीके से ईरान में लैंडिंग की है। संभावना जताई जा रही है कि इन कार्गो प्लेन्स के जरिए हथियार भेजकर चीन ने अपने दोस्त ईरान की सैन्य मदद की है।
उत्तरी चीन से भरी थी उड़ान
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन कार्गो विमानों के डेटा से पता चला है कि तीनों विमानों ने उत्तरी चीन से पश्चिम की ओर उड़ान भरी थी, जो कजाकिस्तान, फिर दक्षिण में उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान होते हुए ईरान के करीब आता दिखता है, लेकिन ईरान के पास आते ही वह रहस्यमय तरीके से रडार से गायब हो गया था।
डेटा में विमान ने नहीं भरी उड़ान
इतना ही नहीं, चीनी विमानों ने रहस्य को और बढ़ाते हुए अपना अंतिम गंतव्य लक्जमबर्ग दिखाया है, लेकिन डेटा से पता चलता है कि ये चीनी विमान यूरोपीय आसमान में नहीं उड़े। अब चिंता जताई जा रही है कि युद्ध के माहौल में इन विमानों के जरिए चीन से ईरान की दिशा में भेजा क्या गया होगा?
हथियारों को ढोने के लिए इस्तेमाल
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह के विमान का इस्तेमाल किया गया है, वह बोइंग 747 मालवाहक विमान है, जो आमतौर पर सैन्य उपकरणों और हथियारों को ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो विमान ने कथित तौर पर ईरानी वायु सीमा में प्रवेश करने से पहले अपने ट्रांसपोंडर्स बंद कर दिए थे जिससे कि वो रडार और कॉमर्शियल ट्रैकिंग सिस्टम से बच जाएं। ऐसे में यह रहस्मयी और गुप्त कदम ईरान को हथियार पहुंचाने के लिए ही उठाया गया होगा।