बीजेपी में दो फाड़, दिल्ली तक बवाल… आखिरकार खत्म हुई कानपुर के DM vs CMO की जंग

बीजेपी में दो फाड़, दिल्ली तक बवाल… आखिरकार खत्म हुई कानपुर के DM vs CMO की जंग

DM vs CMO

नई दिल्ली। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां बटोरने वाली कानपुर के डीएम और सीएमओ की लड़ाई अब खत्म हो गई है। बताया जा रहा है कि डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच महीनों से चल रही इस जंग को खत्म करने के लिए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया था।

जिसके बाद सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया। नेमी की जगह अब श्रावस्ती में तैनात डॉ उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाया गया है। बता दें कि इस प्रशासनिक टकराव ने न सिर्फ ब्यूरोक्रेसी को हिलाया, बल्कि भाजपा में भी दो फाड़ करवा दी।

कैसे शुरू हुआ विवाद

डीएम और सीएमओ के बीच विवाद की शुरुआत फरवरी 2025 में हुई थी, जब जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान सीएमओ समेत कई बड़े अधिकारी बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए थे। इसके बाद डीएम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) का दौरा किया था, जहां पर दस्तावेजों में अनियमितताएं दिखी थीं, साथ ही चिकित्सा सेवाओं में कमी और कर्मचारियों की भारी लापरवाही सामने आई थी।

डीएम ने इन कमियों को काफी गंभीरता से लिया और सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश कर दी। जिलाधिकारी ने शासन को सीएमओ के तबादले की मांग वाला पत्र भी भेज दिया। इस बीच विवाद तब और ज्यादा भड़क गया जब सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई। इस क्लिप में कथित तौर पर सीएमओ ने डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही थीं। डीएम ने इस घटना के बाद एक समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें सीएमओ को सभागार से बाहर निकाल दिया गया था। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय रहा था।

बीजेपी में हो गई दो फाड़

इस विवाद ने भाजपा के कानपुर के नेताओं को दो खेमों में बांट दिया। जहां विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, MLC अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखा और सीएमओ का समर्थन करते हुए उनके तबादले का विरोध किया। वहीं, दूसरी ओर बीजेपी के बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा और विधायक महेश त्रिवेदी ने जिलाधिकारी का पक्ष लिया और सीएमओ पर भ्रष्टाचार और निजी अस्पतालों के साथ सांठगांठ करने के आरोप लगाए।

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