पटना। बिहार के छपरा जिले का मढ़ौरा, जो कभी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में दर्ज था, अब भारत की औद्योगिक क्रांति के नए अध्याय के साथ जुड़ रहा है। यहां की वेबटेक डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री ने न सिर्फ भारतीय रेलवे को नई ऊर्जा दी है, बल्कि अब यह संयंत्र भारत को वैश्विक लोकोमोटिव मेन्युफेक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहा है। जो पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के विजन को मूर्त रूप तो देगा ही, साथ ही सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के सपने को भी साकार करेगा।
वेबटेक ने बनाए 729 डीजल इंजन
यह कारखाना वेबटेक इंक और भारतीय रेलवे का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें वेबटेक की 76 प्रतिशत और रेलवे की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 2018 में स्थापित इस प्लांट ने अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बनाए हैं। इनमें 4500 एचपी के 545 इंजन और 6000 एचपी के 184 इंजन शामिल हैं। इस प्लांट के वैश्विक लोकोमोटिव निर्माण केंद्र बनने के बाद इसकी क्षमता कई गुना बढ़ने वाली है।
ग्लोबल मार्केट में इंजन निर्यात करने वाला पहला राज्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार में “मेक इन इंडिया” विजन को साकार करने वाली यह फैक्ट्री अब “मेक इन बिहार-मेक फॉर द वर्ल्ड” के मंत्र को प्रतिध्वनित कर रही है। पहली बार भारत के किसी राज्य से लोकोमोटिव इंजन का निर्माण कर वैश्विक बाजार में निर्यात किया जा रहा है।
26 मई, 2025 को दक्षिण अफ्रीका के गिनी से तीन मंत्रियों ने प्लांट का दौरा किया। इसके बाद 140 लोकोमोटिव इंजन का सौदा फाइनल हुआ। जिसे “कोमो” नाम दिया गया। यह सौदा करीब 3000 करोड़ रुपए का है। मढ़ौरा के लिए यह महज एक व्यापारिक समझौता नहीं है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की नई भूमिका का प्रमाण है।
लोकल से ग्लोबल हुआ लोकोमोटिव प्लांट
226 एकड़ में फैला यह कारखाना न केवल लोकोमोटिव बनाता है, बल्कि स्थानीय रोजगार और सप्लाई चेन को भी मजबूत करता है। करीब 40-50 फीसदी पार्ट्स भारत के विभिन्न राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, जमशेदपुर से आते हैं, जबकि कुछ खास इंजन अमेरिका से आयात किए जाते हैं। लेकिन अब बढ़ते निर्यात ऑर्डर और ग्लोबल स्टैंडर्ड गेज इंजन की मांग को देखते हुए प्लांट तेजी से अपनी क्षमता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर उभरेगा बिहार
यह परियोजना न केवल भारत की उत्पादन शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह बिहार जैसे राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी भी बनाएगी। इससे न केवल स्थानीय युवाओं को तकनीकी रोजगार मिलेगा, बल्कि स्थानीय आपूर्तिकर्ता नेटवर्क भी मजबूत होगा। साथ ही भारत को पहली बार डीजल इंजनों के क्षेत्र में वैश्विक निर्यातक बनने का अवसर भी मिलेगा। यह बिहार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। जो पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी।
दुनिया के लिए चलेगा दौड़ेगा लोकोमोटिव
मढ़ौरा का इंजन अब भारत के लिए नहीं, दुनिया के लिए चलेगा – यही है मेक इन बिहार की असली ताकत! यह सिर्फ एक फैक्ट्री की सफलता नहीं, बल्कि बिहार की प्रतिभा, भारत की तकनीक और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव का प्रमाण है।