Narendra Modi : हाल ही में अमेरिका में एक दिलचस्प और जटिल कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया. यह आमंत्रण एक सक्रिय पाकिस्तानी सेना प्रमुख को दिया गया एक असामान्य संकेत माना जा रहा है. इससे पहले अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ को ऐसे आमंत्रण मिले थे, लेकिन वे उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी थे.
मुनीर ने की ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग
अपने अमेरिकी दौरे के दौरान जनरल असीम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने की मांग की है. उनका दावा है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली के अनुसार इसी प्रस्ताव के चलते ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया.
वहीं एक बार फिर से ट्रंप ने दावा किया कि मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रुकवाया है. ये दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, और उस समय हालात बेहद तनावपूर्ण थे. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को शानदार व्यक्ति बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता भी जल्द हो सकता है.
किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं :भारत
हालांकि भारत ने इस दावे को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ट्रंप के साथ हुई बातचीत में दो-टूक कहा कि भारत-पाक संघर्ष में अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती. भारत हमेशा से यह रुख दोहराता रहा है कि सभी द्विपक्षीय मुद्दे सीधे बातचीत के माध्यम से सुलझाए जाएंगे…इसके लिए किसी बाहरी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है.
इन सबके बीच मीडिया रिपोर्ट की माने तो G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने कनाड़ा पहुंचे पीएम मोदी को ट्रंप ने अचानक व्हाइट हाउस आने का निमंत्रण दिया था. संभवत यह निमंत्रण उसी समय आया जब मुनीर भी वहां मौजूद थे. लेकिन मोदी ने कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन और क्रोएशिया की आगामी राजकीय यात्रा का हवाला देकर यह निमंत्रण अस्वीकार कर दिया.
अमेरिका के चाल का भारत ने निकाला तोड़
इंडो-पैसिफिक विश्लेषक डेरेक जे ग्रॉसमैन ने ट्रंप के निमंत्रण को एक राजनीतिक चाल कहा और आरोप लगाया कि ट्रंप मात्र फोटो खिंचवाकर नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में शामिल होना चाहते हैं. वहीं कूटनीति विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि आग लगाने के शौकीन ट्रंप अब खुद को शांतिदूत के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे ट्रंप की एकतरफा मध्यस्थता की कोशिश बताया.
इस घटनाक्रम ने ट्रंप की राजनीति, भारत की रणनीति और पाकिस्तान की कूटनीतिक आकांक्षाओं के जटिल मेल को दिखाता है. जहां ट्रंप खुद को मध्यस्थ और शांति निर्माता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, वहीं भारत अपनी स्वायत्त विदेश नीति और सख्त रुख पर कायम है. नोबेल पुरस्कार की मांग, हाई-प्रोफाइल भोज, और अचानक भेजे गए निमंत्रण इस कहानी को और भी रोचक बना देते हैं.