vijay mallya : लंदन में रह रहे भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर से भारत छोड़ने को लेकर बड़ा दावा किया है. फिगरिंग आउट नामक एक पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान माल्या ने दावा करते हुए कहा कि वह देश से भागा नहीं था बल्कि जेनेवा में एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए देश से निकला था. इसकी जानकारी उसने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर दी थी.
माल्या ने क्या कहा?
बातचीत के दौरान अपनी सफाई देते हुए माल्या ने कहा कि 1 मार्च 2016 को वह दिल्ली में था और उसके अगले दिन यानी 2 मार्च को पार्लियामेंट गया था. इसी दिन उसे दिल्ली से लंदन जाना था. उसके मुताबिक लंदन से उसे जेनेवा जाना था जहां FIA वर्ल्ड काउंसिल की मीटिंग कई महीनों पहले से तय थी. पॉडकास्ट में सुप्रीम कोर्ट के समन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में माल्या ने कहा कि यह पूरी तरह गलत है कि मुझे सुप्रीम कोर्ट ने समन किया था. कोई सुनवाई नहीं थी. मैं एयरपोर्ट जाने से पहले अरुण जेटली से मिला और उन्हें बताया कि मैं जेनेवा जा रहा हूं लौटकर आऊंगा.
माल्या ने यह भी दावा किया कि जब उसके अरुण जेटली से मिलने की खबर मीडिया में आई तो तत्कालीन वित्त मंत्री ने पहले तो इससे इनकार किया लेकिन फिर बाद में एक कांग्रेस सांसद की गवाही के कारण उन्हें अपना बयान बदलना पड़ा.
भारत में में सिर्फ 180 दिन रहने की अनुमति
बातचीत के दौरान माल्या ने यह भी दावा किया कि वो बैंकों से सेटलमेंट करना चाहता था.माल्या ने कहा कि उन्होंने अरुण जेटली से अनुरोध किया था कि वे बैंकों से कहें कि वे बातचीत करें और समाधान निकालें. मैंने सिर्फ इतना कहा था, मैं जेनेवा मीटिंग के लिए जा रहा हूं, वापस आऊंगा. प्लीज़ बैंकों से कहिए कि मेरे साथ बैठकर सेटलमेंट करें. माल्या ने यह भी कहा कि जब वह विदेश में था तभी भारत सरकार ने उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया जिससे उसकी यात्रा सीमित हो गई. उसने कहा कि अगर मेरा पासपोर्ट रद्द नहीं हुआ होता तो इस मामले में बहुत कुछ अलग हो सकता था. अपने बचाव में माल्या ने कहा कि वह इंग्लैंड का परमानेंट रेजिडेंट है और भारत में उसे साल में सिर्फ 180 दिन रहने की अनुमति है.
कौन हैं विजय माल्या?
विजय माल्या भारत के जाने-माने कारोबारी और पूर्व राज्यसभा सांसद रहे हैं. माल्या पर करीब 9,000 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट का आरोप है. मुंबई की एक विशेष अदालत ने 5 जनवरी 2019 को माल्या को भगोड़ा अपराधी घोषित किया. सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 जुलाई 2022 को उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए चार महीने की जेल की सजा सुनाई थी.