=
डोमिसाइल नीति को लेकर पटना में सड़कों पर उतरे छात्र, सरकार से की ये मांग

डोमिसाइल नीति को लेकर पटना में सड़कों पर उतरे छात्र, सरकार से की ये मांग

Domicile Policy

Domicile Policy: बिहार में आगामी कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल आमजन से तरह-तरह के वादे कर रहे हैं. इसी बीच एक बार फिर से राज्य में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग तेज हो गई है. छात्र संगठनों ने गुरुवार पटना कॉलेज से डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर मार्च निकाला. इस मार्च के तहत छात्र अशोक राजपथ होते हुए गांधी मैदान पहुंचे. जहां जेपी गोलंबर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर इन्हें रोक दिया.

सीएम हाउस से पहले ही पुलिस ने रोका

मार्च में पहुंचे छात्र हाथों के हाथ में बैनर-पोस्टर था. ये सभी लोग सीएम हाउस तक जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने जाने नहीं दिया. प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ सिर्फ बिहार के मूल निवासियों को ही मिलना चाहिए. इसके लिए राज्य में मिनिमम 90 फीसदी डोमिसाइल लागू होना चाहिए.

बिहार के मूल निवासियों के लिए मांग

एक छात्र नेता ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि बिहार में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ सिर्फ उन लोगों को मिले जो मूलरूप से बिहार के ही रहने वाले हैं. क्योंकि झारखंड और उत्तर प्रदेश में डोमिसाइल नीति लागू है, जिस कारण बिहार के लोगों को उन राज्यों में नौकरी नहीं मिल रही है. जबकि उत्तर प्रदेश और झारखंड के युवाओं को बिहार में नौकरी मिल रही है.

अन्य राज्यों के लिए सिर्फ 10 फीसदी हों सीट

छात्र नेता के मुताबिक, दूसरे प्रदेश के लिए कम से कम 10 फीसदी ही सीट होनी चाहिए. बिहार में तीन चरण की शिक्षक बहाली में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों ने बड़ी संख्या में योगदान दिया है. इन तीनों चरणों की शिक्षक बहाली में उत्तर प्रदेश और झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों से शिक्षक बहाल हो चुके हैं. छात्र नेता के मुताबिक ऐसे लोगों को बहाल किया गया है जिन्हें ठीक से हिंदी भी नहीं आती है. इतना ही नहीं जब उन्हें बिहार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो वो बच्चों को क्या पढ़ाएंगे?

बिहार से संबंधित भी हो एक प्रश्न पत्र

इसके अलावा छात्र नेता ने एक और मांग करते हुए कहा कि शिक्षक बहाली में जो प्रश्नों का पैटर्न होता है और उसमें जो प्रश्न पत्र रहता है वह भी रहे, लेकिन अलग से बिहार से संबंधित 100 प्रश्नों का एक पेपर होना चाहिए और उस पेपर को अनिवार्य करना चाहिए. जिससे बिहार के बच्चों के पठन-पाठन में गुणवत्ता आएगी.

related news

    Scroll to Top