GDA : सरकार का आदेश और आम जनता की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से लगातार मुंह मोड़ते दिखते हैं. सुबह-सवेरे जब आम जनता फाइलें लेकर कार्यालय पहुंचती है तो अधिकारी मिलते ही नहीं नतीजा काम तो होता नहीं है इसके विपरीत लोगों घंटों इंतजार करना पड़ता है.
जनता का आक्रोश और सवाल
शिकायतों के आधार पर जब News India 24×7 के संवाददाता कपिल मेहरा ने GDA कार्यालय का सुबह 10 बजे पहुंचकर रियलिटी चेक किया तो हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई. एक-एक कर अधिकारियों के केबिन की जांच की गई लेकिन हर केबिन में एक जैसा नजारा ही था.कुर्सियां खाली थी और अधिकारी गायब थे. बाहरी दिखावे के लिए जरूर केबिन का ताला खुला था,लेकिन उस पर बैठने वाला कोई नहीं था. GDA उपाध्यक्ष अतुल वत्स के केबिन के बाहर लगे बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा था कि जनसुनवाई का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक है. लेकिन खुद उपाध्यक्ष महोदय भी अपने पद की गरिमा को ताक पर रखते हुए अनुपस्थित पाए गए.
जनता का कहना है कि अधिकारी समय पर कार्यालय नहीं आते जिसकी सीधी मार आम नागरिकों को झेलनी पड़ती है. लोग दूर-दूर से सरकारी काम कराने आते हैं,लेकिन घंटों इंतज़ार के बाद भी अधिकारी नजर नहीं आते. इससे ना केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि जनता का भरोसा भी टूटता जा रहा है.
GDA मेंभ्रष्टाचार की लंबी सूची
यह पहली बार नहीं है कि GDA विवादों में आया हो.पूर्व लिपिक संजीव नागरथ पर 2007 से 2012 के बीच 1 करोड़ 98 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप है. इस दौरान आय की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक खर्च किया गया. विजिलेंस जांच में संजीव नागरथ की अप्रत्याशित संपत्तियों का खुलासा हुआ. 2017 में 73 GDA कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगे थे इन कर्मचारियों में क्लर्क से लेकर जूनियर इंजीनियर तक शामिल थे.2017 में ही 11 कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. जिला प्रशासन की नाक के नीचे अवैध निर्माण भी हुआ, जिसमें GDA की भूमिका पर सवाल खड़े हुए.
मुख्यमंत्री के आदेशों की भी अवहेलना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2021 में यह निर्देश जारी किए थे कि सभी अधिकारी सुबह 10 से 12 बजे तक कार्यालय में रहकर जन समस्याएं सुनें और उनका तत्काल समाधान करें. लेकिन GDA के अधिकारी इस आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं.
जब News India 24×7 की टीम GDA कार्यालय पहुंची तो कुछ कर्मचारी उपस्थित थे लेकिन अधिकारी नदारद थे.कैमरे को देखकर कर्मचारी घबरा गए और सफाई देने लगे कि अधिकारी बस 5 मिनट में आने ही वाले हैं. लेकिन यह 5 मिनट घंटों में बदल गए और अधिकारी नदारद रहे.